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जिन सिद्धेश्वर पांडेय ने बचपन मे पढ़ाया था विकास दुबे को, उन्ही को मार कर उनके खून से अपना हाथ धोया था उसने

VikasDubeyEncounter के साथ सामने आ रहे उसके दानवी कुकृत्य..

Rahul Pandey
  • Jul 10 2020 4:34PM

दुर्दांत अपराधी और मानव के वेश में छिपे किसी दानव से कम को कृत्य ना करने वाले अपराधी विकास दुबे की मौत के साथ में नाा सिर्फ जातिवादी मानसिकता वालों की फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बाढ़ सी आ गई है बल्कि कई राजनेताओं ने इस पर अपने अपने हिसाब से राजनीति भी शुरू कर दी है। सबसे पहले अखिलेश यादव ने ट्वीट करके इस पर ऐसा बयान दिया जो कि निश्चित रूप से पुलिस के शौर्य का   अपमान ही कहा जाएगा। प्रियंका गांधी का भी इस मामले में बयान आया लेकिन यह जानना बेहद जरूरी है कि विकास दुबे कितना गिरी सोच का अपराधी था।

क्या आप कल्पना कर सकते हैं किसी ऐसे सोचकर व्यक्ति की जिसने खुद को बचपन में पढ़ाने वाले गुरु और उंगली पकड़कर शिक्षा व विद्या देने वालेअध्यापक को पहले क्रूरता से मारा हो और उसके बाद उनके ही रक्त से   अपने हाथ धोए हो। वह भी मात्र एक जमीन पर जबरन कब्जा करने की नियत से जहां पर वयोवृद्ध हो चुका वह अध्यापक एक शिक्षा का केंद्र बनाना चाहता था। इतना ही नहीं बाद में उस अध्यापक की मौत के बाद भी उसके परिवार को खत्म करने की पूरी धमकियां दी गई हो और अपने ही शिक्षक के कुल को मानव रहित करने का प्रयास किया गया हो।

विदित हो कि पुलिस मुठभेड़ में ढेर हो चुके दुर्दांत हत्यारे विकास दुबे के आतंक को कोई नजदीक से महसूस कर पाया है तो वो है शिवली के ताराचंद्र इंटर कॉलेज के सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य सिद्धेश्वर पांडेय का परिवार। विकास ने 11 नवंबर वर्ष 2000 को इंटर कॉलेज के बगल में एक खाली प्लाट में दिनदहाड़े सिद्धेश्वर पांडेय की हत्या कर दी थी।  अभी भी यह परिवार उन पुराने दिनों को सोचकर सिहर उठता है और नजरों में घूम जाता है वह खौफनाक समय जब पूरे परिवार के अस्तित्व पर संकट पैदा कर दिया था हत्यारे विकास दुबे ने।

हत्या की वजह वही जमीन थी। सिद्धेश्वर पांडेय इंटर कॉलेज की खाली पड़ी जमीन पर डिग्री कॉलेज बनाना चाहते थे, जबकि विकास की नजर उस पर कब्जा करने की थी। सिद्धेश्वर पांडेय साफ स्वच्छ छवि के सेवानिवृत्त शिक्षक थे। दूर-दूर तक उनका सम्मान था। विकास भी उसी स्कूल में पढ़ा था। उन्हें कतई उम्मीद नहीं थी कि उनका पढ़ाया लड़का एक दिन उन्हीं की जान ले लेगा। अध्यापक ने बचपन में अपने शिष्य विकास दुबे को अपने बेटे जैसा प्रेम दिया था। 

मगर विकास ने वह किया जो उन्होंने सोचा तक नहीं था। कई गोलियां सीने में उतारने के बाद विकास ने उनके बेटों को भी धमकाया कि पैरवी की तो जान से हाथ धो लेंगे। मगर उनके बेटों ने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने अपने पिता की मौत का कानूनन बदला लेने के लिए जान माल सब दांव पर लगा दिया। अब विकास दुबे की मौत के बाद इस परिवार चेहरे पर एक संतुष्टि देखी जा सकती है और वह सब उत्तर प्रदेश पुलिस को साथ ही योगी आदित्यनाथ के दृढ़ संकल्प को साधुवाद करते दिखाई देते हैं।

 

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