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निकाय चुनाव में शिवपाल का रोल कितना अहम, जानें यहां

निकाय चुनाव को लेकर सपा ने तैयारियां तेज कर दी हैं. पार्टी ने दो दिनों में दो बैठकें की हैं.एक लखनऊ तो दूसरा गृह जिला मैनपुरी में. हालांकि दोनों बैठकों में शिवापल यादव नदारद रहे लेकिन यहां शिवपाल और अखिलेश के लिए निगेटिव खबरें नहीं आई.

रजत के.मिश्र, Twitter - rajatkmishra1
  • Dec 19 2022 10:30AM

इनपुट- शैलेश कुमार शुक्ला, लखनऊ

 
यूपी में जल्द ही निकाय चुनाव होने हैं.निकाय चुनाव को लेकर सभी पार्टियों ने अपनी तैयारियों को शुरु कर दिया है. इस बार का चुनाव समाजवादी पार्टी के लिए बहुत अहम रहने वाला है क्योंकि बीते 9 सालों में ऐसा पहली बार होगा जब चाचा भतीजा एक साथ एक पार्टी के लिए जोर लगाएंगे.
 
वैसे चाचा 2022 के विधानसभा चुनावों में भी साथ थे लेकिन उनका दल अलग था.मैनपुरी उपचुनाव में चाचा भतीजे के मिलन ने जरुर ही विपक्षी पार्टियों को अपनी रणनीति बदलने पर मजबूर कर दिया है और यूपी की सियासी हलकों में शिवपाल सिंह यादव आजकल खास तौर पर चर्चा में हैं. इसकी कई वजह है. पहले तो सपा में विलय के बाद अब उनको मिलने वाली नई जिम्मेदारी की बात हो रही है. इसके अलावा पार्टी में उनके रोल को लेकर भी चर्चा तेज है. कहा तो ये भी जा रहा है कि अखिलेश अब दिल्ली की सियासत करेंगे और चाचा शिवपाल यूपी की बागडोर संभालेंगे. वैसे तो इससे पहले चाचा भतीजे के मिलन को लेकर हमेशा इफ बट रहता था लेकिन इस बार चाचा ने भतीजो को और भतीजे ने चाचा को एक समान सम्मान दिया है.
 
अब बात करते हैं कि निकाय चुनाव की.निकाय चुनाव को लेकर सपा ने तैयारियां तेज कर दी हैं. पार्टी ने दो दिनों में दो बैठकें की हैं.एक लखनऊ तो दूसरा गृह जिला मैनपुरी में. हालांकि दोनों बैठकों में शिवापल यादव नदारद रहे लेकिन यहां शिवपाल और अखिलेश के लिए निगेटिव खबरें नहीं आई.लखनऊ में पार्टी बैठक के बाद पार्टी कार्यकर्ता काफी खुश और जोश में नजर आए. वैसे तो सपा कार्यकर्ता अपने अलग जोश के लिए जाने जाते हैं लेकिन शिवापाल के आने से कार्यकर्ताओं ने अलग उत्साह है.उत्साह इसलिए भी है क्योंकि लगता है कि चाचा के आने से पार्टी के संगठात्मक ठांचे को मजबूती मिलेगी और पार्टी जमीन पर मजबूत होगी. ये बात सच भी है कि चाचा के आने से पहले कार्यकर्ताओं और संगठन के नेताओं के पास अखिलेश के अलावा ऐसा कोई नेता मौजूद नहीं था.जिसकी पार्टी और संगठन में मजबूत पैठ हो.इसके उलट शिवपाल के पास संगठन और कार्यकर्ताओं के बीच काम करने का अच्छा खासा अनुभव है और यह अनुभव निश्चित तौर पर पार्टी और नेताओं के काम आएगा.
 
निकाय चुनाव में जमीनी स्तर के कार्यकर्ता चुनाव लड़ते हैं जिनकी जीत उनके क्षेत्र में पार्टी की मजबूती और जनाधार को भी दर्शाती है.इसका उदाहरण पंचायत चुनाव में देखने को मिला जहां कई जगहों पर अच्छी स्थिति में होने के बाद भी सपा बढ़त नहीं बना पाई. शिवापल के यूपी में वापसी से उन दलों में जोश दिखा है जो विधानसभा चुनाव के बाद सपा का साथ छोड़ गए थे.उन दलों में ओपी राजभर की पार्टी सुभासपा, केशव देव मौर्य की पार्टी महान जैसे दल शामिल हैं जो चाहते हैं कि शिवपाल कमान संभाले और सूबे में इस गठबंधन को नया स्वरुप दिया जाए.राजभर में साफ संकेत दिए हैं कि शिवपाल जी चाहें तो वो वापसी को तैयार हैं.इसके साथ साथ राजभर ने शिवपाल की तारीफ में कसीदें भी पढ़े हैं.राजभर ने कहा कि शिवपाल यादव राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी हैं. वे कड़ी मेहनते के बाद यहां तक पहुंचे हैं. मुलायम सिंह यादव के साथ शिवपाल ने यूपी के सभी जिलों को मथा है. वे जनता के बीच काम करने वाले समाजवादी नेता है. नेता जी के बाद शिवपाल सिंह यादव ही हैं जो समाजवादी पार्टी को आगे बढ़ा सकते हैं. 
 
वहीं महान दल के प्रमुख केशव देव मौर्य ने कहा कि सपा के साथ गठबंधन के लिए तैयार हैं, क्योंकि यूपी में बीजेपी को अखिलेश यादव ही चुनौती दे सकते हैं. अकेले दम पर महान दल महान दल चुनाव लड़कर कुछ नहीं कर सकती है, ऐसे में हमारी पहली पसंद सपा है.यानी बीजेपी के जातीय समीकरणों का खेल बिगाड़ने वाली पार्टियां भी शिवपाल के नेत़त्व में समाजवादी पार्टी के साथ जाने को तैयार हैं.अगर ऐसा हुआ तो निकाय चुनाव में समाजवादी पार्टी को जरुर बढ़त मिलेगी और 2024 के चुनाव में सपा के लिए फायदेमंद साबित होगी.

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