8 सितंबर : “विश्व साक्षरता दिवस”...आज सीखें शरणार्थी और हत्यारों में अंतर और हिन्दुओं के विरुद्ध रची गई अनगिनत साजिशों को
असल में ज्ञान और शिक्षा में बहुत अंतर् होता है. ज्ञान वो है जो हिमालय की कंदराओं में आज भी तप करते ऋषि मुनियो के पास है भले ही उनके पास कोई PHD , IIT की डिग्री नहीं है , दूसरी तरफ शिक्षा वो है जो प्रमाणपत्र से साबित करनी पड़े.
आज है अंतराष्ट्रीय साक्षरता दिवस ( World Literacy Day ) अर्थात उस चीज के बारे में जानना जिसे हम नहीं जानते, इसको छोटे रूप में समझे तो सिर्फ किताबें पढ़ना पर वृहद रूप से जाना जाय तो इसका अर्थ है अपने हित अहित को जान लेना , देश के दुश्मनो और दोस्तों के बारे में ज्ञान हो जाना, अच्छे बुरे की समझ आ जाना , मीठी बोली के पीछे छिपे जहर को पहचान लेना आदि.
ख़ास कर इस ज्ञान की हम भारतीयों को सख्त जरूरत है क्योकि हम वो हैं जिन पर एक लम्बी परतंत्रता का दाग लगा है , हम वो हैं जिन के साथ कई बार कइयों ने धोखा दिया है. कुछ ने तलवार ले कर तो कुछ ने धोती पहन कर, हम इतने भोले थे की हमने सब को हंस कर स्वीकार किया भले ही बाद में कुछ नकली लोगों ने हम पर असहिष्णु होने का दाग लगाने की असफल कोशिश ठीक वैसे ही कोई जैसे उन्होंने कभी हमारे साथ आतंकवाद शब्द जोड़ने की कोशिश की थी वो भी बिना थके 9 साल पर अंत में वो ही गलत साबित हुए क्योंकि वो सच में गलत थे.
असल में ज्ञान और शिक्षा में बहुत अंतर् होता है. ज्ञान वो है जो हिमालय की कंदराओं में आज भी तप करते ऋषि मुनियो के पास है भले ही उनके पास कोई PHD, IIT की डिग्री नहीं है , दूसरी तरफ शिक्षा वो है जो प्रमाणपत्र से साबित करनी पड़े.
जैसे कुछ ऐसे भी हैं जो IRS हो कर, मुख्यमंत्री हो कर भी आतंकियों की, नक्सलियों की खुली पैरवी करते हैं. ये माना जा सकता है की वो शिक्षित हैं पर ज्ञानी नहीं. मैकाले शिक्षा पद्धति से पहले हमारी वैदिक शिक्षा पद्धति भी हमे ज्ञानी पहले बनाती थी पर अब केवल शिक्षा रह गयी है , वो भी व्यापार के रूप में.
अब एक बार फिर हमें ज्ञानी होना होगा और ज्ञान ऐसा जो हमें उन रोते चेहरों के पीछे छिपा वो असली चेहरा दिखा सके जो म्यांमार से कत्ल, लूट, हत्या और बलात्कार कर के आये हैं, वहां बौद्धों को अपने हित अहित का ज्ञान हो गया इसलिए इन्हे वहां से भागना पड़ा पर अब हमें शिक्षित के साथ ज्ञानी होना होगा और हमारे ही अंग बौद्धों के खून से रंगे इन हाथों को भारत की पहुंच से दूर करना होगा अन्यथा ये भगवा, ओंकार और धर्म से इतनी नफरत पाल चुके हैं की यहां रहना हिन्दुओं का भी दुश्वार हो जायेगा.
ये सिर्फ आपके सुदर्शन न्यूज़ चैनल का आंकलन भर नहीं है बल्कि हमारी ख़ुफ़िया एजेंसियों का भी आंकलन है. आइये आज 8 सितम्बर अर्थात अंतराष्ट्रीय साक्षरता दिवस पर हम इन हत्यारों का इतिहास जानें और हर किसी को बौद्धों के उन हत्यारों के बारे में साक्षर करें जिन्होंने दुनिया के सबसे शांतिप्रिय पंथ को भी ना केवल शस्त्र उठाने पर मजबूर कर दिया अपितु उन्हें बदनाम करने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी जबकि उन्होंने केवल अपने राष्ट्र की रक्षा की.
चलिए संकल्प लेते हैं साक्षर होने का और भारत के ही अंदर पल रही इस आतंक की बेल को उखाड़ फेंकने का जिसने बौद्धों के रक्त को पी कर अपनी जड़ें मजबूत कर ली है. मैं सुरेश चव्हाणके आप सब का आह्वान करता हूं सुदर्शन न्यूज की मुहिम में समर्थन देने का जिस से भारत में ही पल रहा रोहिंग्या नाम का ये नासूर समाप्त हो सके और दुनिया निर्भय हो कर ना सिर्फ साक्षर हो सके अपितु जीवन को जी सके.
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