दलित मुस्लिम की कथित एकता का सच तो नही बता दिया अयूब ने ? यदि आपके लिए संविधान सर्वोपरि है तो सुनें उसकी सोच
पार्टी का नाम तो पीस अर्थात शान्ति रखा पर शांति के शत्रु के रूप में आया सामने..
पिछले कुछ समय से भारत की राजनीति की एक प्रकार से धुरी बने दलित मुस्लिम एकता का जिस प्रकार से भंडाफोड़ अथवा कथित रूप से सच डॉक्टर अयूब ने बताया वाह कोई नई बात नहीं है। बिहार पश्चिम बंगाल पश्चिम उत्तर प्रदेश कश्मीर जैसी जगहों पर इस सच को कई बार आयोग जैसे कई लोगों ने बेनकाब किया है । यहां यह ध्यान रखने योग्य की अयूब ने की पार्टी नाम की एक संस्था बनाई थी जिसमें पीस का अर्थ शांति होता है पर अयूब कितना बड़ा शांति का पक्षधर था यह उसके कृत्य बता रहे हैं ।
पिछले कुछ समय पहले जिस प्रकार से डॉक्टर के रूप में छिपे जिहादी कफील का भंडाफोड़ हुआ ठीक उसी प्रकार अब एक और डॉक्टर के रूप में छिपे अयूब का भी सच निकल कर सामने आ गया है। कभी उत्तर प्रदेश की सत्ता में बड़ा दखल देने वाले डॉक्टर के रूप में जिहादी सोच रखने वाले अयूब ने शरीयत को संविधान से बड़ा बताया और इसी के साथ मुसलमानों को भड़काने वाली तमाम बातें लिखकर उसके परिचय बटवा दिए। इन पर्चो पर जिसने सबसे पहला और सख्त विरोध किया वह है कभी दलित मुस्लिम एकता की सबसे बड़ी पक्षधर रही मायावती ने। मायावती ने अयूब को डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के सपनों के खिलाफ सोच वाला व्यक्तित्व बताया जिसके बाद उत्तर प्रदेश पुलिस ने भी अपनी कार्यवाही और कड़ी करनी शुरू कर दी है।
उर्दू अखबारों में विज्ञापन निकालकर शरीयत को संविधान से ऊपर बताने वाले पीस पार्टी (Peace Party) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अयूब (Dr Ayub) की गिरफ्तारी के बाद अब उनपर रासुका लगाने की तैयारी चल रही है. लखनऊ पुलिस ने इसके लिए अयूब के खिलाफ साक्ष्य जुटा रही है. पुलिस का कहना है कि माहौल खराब करने की साजिश रचने में डॉक्टर अयूब के साथ और कौन लोग शामिल हैं. इसके बारे में पता लगाया जा रहा है. आरोपित के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत कार्यवाही की जाएगी. एसीपी हजरतगंज अभय कुमार मिश्रा का कहना है कि विवादित सामग्री प्रकाशित होने से समाज के कई वर्गों में आक्रोश व्याप्त हो गया था. लोग सड़कों पर उतर गए थे जिन्हें शांत कराया गया.
दरअसल, डॉ. अयूब ने बकरीद से पहले लखनऊ में उर्दू के पर्चे बंटवाए थे. उन पर्चों पर अंकित शब्दो को धार्मिक भावना भड़काने वाला बताते हुए हजरतगंज पुलिस ने गोरखपुर पुलिस से सम्पर्क किया जिसके बाद डॉ. अयूब की गिरफ्तारी हुई. अयूब ने उर्दू अखबारों में विज्ञापन निकलवाया कि शरीयत संविधान से ऊपर है, जिसे लेकर काफी बवाल हुआ. डॉ. अयूब पर 153a, 505 और आईटी एक्ट के अंतर्गत FIR दर्ज की गई है. गोरखपुर से गिरफ्तारी होने के बाद लखनऊ पुलिस ने डॉक्टर अयूब राजधानी लखनऊ ले आई. डॉ. अयूब के खिलाफ मुकदमा भी पुलिस ने सोशल मीडिया पर वायरल टिप्पणियों और अखबार में छपे पोस्टर का खुद ही संज्ञान लेने के बाद दर्ज किया था.
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