एक बहुत पुरानी कहावत है कि कुछ दिन की विपदा जी कभी कभार सार्थक परिणाम दे देती है और उसमें अपने - पराए अर्थात हित या अहित का निर्णय और उसकी ले लिया जाता है. ठीक इसी प्रकार चीन से चल रही भारत की तनातनी में ऐसे तमाम चेहरे बेनकाब हो रहे हैं जिनको कहीं ना कहीं से मनोरंजन और आत्म संतुष्टि से ज्यादा प्रेम है बजाय के देश और देश भक्ति के. कल मोदी सरकार द्वारा लिए गए तमाम ऐप को चीनी आधार पर वर्गीकृत करने के बाद 59 ऐप पर प्रतिबंध लगाने के बाद जिस मामले में सबसे ज्यादा चर्चा या विवाद खड़ा हो रहा है वह है टिक टॉक।
टिक टॉक एक ऐसा ऐप था जो देश के युवाओं में निरर्थक की पब्लिसिटी और एक फर्जी प्रकार का स्टारडम क्रिएट कर रहा था और इसके चलते कई युवा निश्चित रूप से गुमराह हुए थे। इतना ही नहीं इस ऐप का प्रयोग भारत देश विरोधी जहर फैलाने में कई बार किया गया और लव जिहाद जैसी घटनाओं की इस ऐप के बाद बाढ़ जैसी आ गई थी। गलवान घाटी में संसार के सबसे गद्ददार देश चीन को रोकते 20 योद्धाओं के बलिदान के बाद ऐसे तमाम तथाकथित यूथ आईकॉन को रोते या विचलित भी नहीं देखा गया लेकिन जब से नरेंद्र मोदी सरकार ने टिक टॉक पर बैन लगाया है तब से ऐसे कई वीडियो सामने आ रहे हैं जिसमें इस चीनी एप जो कि भारतीयों की व्यक्तिगत जासूसी करने के लिए बदनाम था उस पर और रोने वालों की बाढ़ आ गई।
ऐसे कई गुमराह लोगों के वीडियो सामने आ रहे हैं जो इसे राष्ट्रीय आपदा जैसा मान कर कभी विदेश जाने की बात कर रहे हैं तो कभी भगवान से प्रार्थना करते दिख रहे हैं कि ऐसा ना हो यद्द्पि उन्हीं के मुंह से कभी भी - "हे भगवान देश के जवानों की रक्षा करना" जैसे प्रार्थनाएं नहीं सुनाई दी। इस ऐप के प्रतिबंधित होने के बाद ना सिर्फ चीन को बड़ा झटका लगा है बल्कि देश वासियो को भी अपने बीच में छिपे से तमाम चेहरों को पहचानने का मौका मिला है जो अपने मनोरंजन को देश की एकता अखंडता और अस्मिता के साथ वीर जवानों के प्राणों से ज्यादा ऊपर रखते हैं फिलहाल इस ऐप के प्रतिबंधित होने का पूरे भारत में जोरदार स्वागत किया जा रहा है