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जब कोई अपनी "जिद"को ही "न्याय" घोषित कर दे.. तब वो जगह UP का जिला कन्नौज बन जाती है...

जो साफ दिख रहा उसकी जांच हो रही और जो नही दिखा उस पर कार्यवाही.

Rahul Pandey
  • Aug 3 2020 6:59AM

उत्तर प्रदेश में शासन एक योगी का है। वह योगी जो शास्त्र - ग्रंथ इत्यादि को साथ रखकर शासन कर रहे हैं। उन्हीं शास्त्रों के अनुसार एक लाइन है जिस पर कई देशों की न्यायपालिका भी आधारित है। वह लाइन है- " प्रत्यक्षण किम् प्रमाणम"। अर्थात -  "जो साफ दिख रहा हो उस में प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती"। फिलहाल यह सब कुछ भले ही दुनिया ही नहीं बल्कि पूरे ब्रह्मांड पर लागू हो पर संसार की एकमात्र जगह ऐसी है जहां यह सभी नियम पूरी तरीके से फेल और ध्वस्त हो जाते हैं। उस जगह का नाम है जिला कन्नौज जो कि उत्तर प्रदेश के अभी कुछ दिन पहले ही चर्चित रहे कानपुर के ठीक बगल का जनपद है। कानपुर पुलिस की कार्यशैली पर भले ही बहुत सवाल उठे हैं लेकिन कन्नौज पुलिस की कार्यशैली ने कानपुर को भी पीछे छोड़ दिया है क्योंकि यह उस मामले पर ज्यादा बेहतर जांच करती है जो अदृश्य है और उस मामले में बहुत लंबा समय लेती है जो दृश्य अर्थात सामने है।

यहां का थाना छिबरामऊ और वहां के थानाध्यक्ष निश्चित तौर पर भविष्य के युगपुरुष और उनके मुखिया पुलिस अधीक्षक कन्नौज इस टीम के ऐतिहासिक नेतृत्व करता साबित होंगे क्योंकि इनके द्वारा की जा रही जांच और दिए जा रहे हैं उत्तर अनोखे हैं। मामला कन्नौज जिले के कोतवाली छिबरामऊ का है जहां पर एक महिला का मकान गांव कायस्थान नगला में वीडियो कैमरे के आगे उजाड़ दिया जाता है। महिला चुपके से वीडियो बनाने का प्रयास करती है तो मकान उजाड़ दे उत्पाती होने साफ साफ बोला किसका मोबाइल छीन और इसे मार। वीडियो में चेहरे साफ साफ दिखाई दे रहे हैं परंतु इस वीडियो को देखने के बाद कन्नौज पुलिस जवाब देती है कि यह अपने बचाव में किए जा रहे प्रयास है ।

मतलब कन्नौज पुलिस थाना छिबरामऊ और पुलिस अधीक्षक कन्नौज के माध्यम से पूरा मन बना चुकी है कि क्या करना है और क्या नहीं । न्याय - नीति आदि  तो बाद के विषय है। पुलिस का कहना यह है कि जिसका घर उजड़ रहा है उसके ऊपर पहले से केस है तो ऐसे में सवाल यह उठता है कि जिसके ऊपर केस दर्ज हो क्या उसके साथ गलत या अन्याय नहीं हो सकता। 4 दिन से सोशल मीडिया पर घूम रहे वीडियो पर कन्नौज पुलिस ने तब जवाब दिया जब इस मामले पर आईजी रेंज कानपुर ने संज्ञान लिया अन्यथा उजड़े घर की पीड़ा लेकर एक महिला दर-दर भटक रही थी। यहां भी पुलिस की जांच का एंगल पुलिस के जवाब से ही लग रहा है कि वह उसमें महिला द्वारा अपने खुद का घर खुद से उजाड़ने जैसी मानसिकता तो नहीं रखती ?

यह मीडिया नहीं बल्कि आईजी रेंज को दिया गया पुलिस का जवाब कहता है। निसंकोच यहां यह कहना गलत नहीं होगा कि जब न्याय जिद का रूप ले लेता है तब वह जगह उत्तर प्रदेश का कन्नौज बन जाती है। मामला मीडिया में आने के बाद कम से कम कन्नौज पुलिस ने जवाब दिया अन्यथा एक सामान्य व्यक्ति कन्नौज पुलिस से अपने साथ हुए न्याय अन्याय का सवाल जवाब भी पाता हो इसमें अब संदेह है। फिलहाल महिला का घर उजाड़ते  साफ दिखाने वाली वीडियो की जांच अभी कन्नौज पुलिस कितने और दिन करेगी यह कहना मुश्किल है । इस मामले में पीड़ित पक्ष का यह कहना है कि यद्यपि वह निर्दोष है और खुद ही अन्याय का शिकार है फिर भी इस मामले  क़ी  जांच करवाने व पुलिस को पूर्ण सहयोग देने के लिए तैयार है परंतु उस पर पुलिस का एक  पक्षीय रवैैैया बहुत ही कष्टकारी है।

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