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घोटाला: रिम्स डेंटल कॉलेज में डेंटल चेयर और मोबाइल डेंटल वैन की खरीद में भारी गड़बड़ी

रिम्स डेंटल कॉलेज में डेंटल चेयर और मोबाइल डेंटल वैन की खरीद में भारी गड़बड़ी हुई है. मनमानी कीमतों पर उपकरणों की खरीदारी की गयी. इसके बावजूद एकरारनामा के मुताबिक उपकरण और वैन कॉलेज को नहीं मिले. महालेखाकार (एजी) की जांच में इसकी पुष्टि हुई है.

झारखण्ड ब्यूरो
  • Jun 25 2020 3:54PM

रांची : रिम्स डेंटल कॉलेज में डेंटल चेयर और मोबाइल डेंटल वैन की खरीद में भारी गड़बड़ी हुई है. मनमानी कीमतों पर उपकरणों की खरीदारी की गयी. इसके बावजूद एकरारनामा के मुताबिक उपकरण और वैन कॉलेज को नहीं मिले. महालेखाकार (एजी) की जांच में इसकी पुष्टि हुई है. एजी ने 20 जून को ही जांच रिपोर्ट रिम्स प्रबंधन को भेज दी है. रिपोर्ट के मुताबिक, उपकरण की खरीद कैलाश सर्जिकल और विशाल सर्जिकल से की गयी थी. इसमें डेंटल वैन के लिए वास्तविक मूल्य (करीब 55 लाख) से तीन गुनी अधिक कीमत (1.65 करोड़ रुपये) चुकायी गयी.

 

जांच में पता चला कि मोबाइल वैन में मरीज को परामर्श देने के लिए डॉक्टर का अलग केबिन नहीं था. वहीं, डेंटल चेयर भी स्पेशिफिकेशन के अनुरूप नहीं था. एजी की टीम ने जब भौतिक सत्यापन किया, तो खरीद के अभिलेख के हिसाब से कई सामान गायब मिले. कॉलेज में लगाये गये डेंटल चेयर में गड़बड़ी मिली. डेंटल चेयर के साथ मॉड्यूलर चेयर नहीं है. चेयर के साथ अटैच पानी गर्म करने के उपकरण भी गायब थे. सेंसर लाइट की जगह सामान्य लाइट लगी थी.

 
 

प्रत्येक चेयर के साथ 17 इंच का एलइडी मॉनिटर लगा होना चाहिए था, जो नहीं पाया गया. टीम ने लिखा है कि खरीद की प्रक्रिया के एकरारनामा में पूर्व निदेशक डॉ आरके श्रीवास्तव, डेंटल कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ पंकज गोयल, वर्तमान अधीक्षक डॉ विवेक कश्यप, दंत चिकित्सक डॉ बीके प्रजापति ने हस्ताक्षर किया है. यहां बताते दें कि डॉ आरके श्रीवास्तव सेवानिवृत्त हो गये हैं. वहीं, डॉ पंकज गोयल का लियेन खत्म होने पर वह अपने कॉलेज वापस लौट गये हैं.

स्वास्थ्य विभाग व तकनीकी कमेटी के बाद एजी ने की जांच :रिम्स के डेंटल कॉलेज में उपकरण खरीद में गड़बड़ी का मामला सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने अपनी टीम से जांच करायी थी, जिसमें गड़बड़ी पायी गयी थी. इसके बाद रिम्स प्रबंधन ने दंत चिकित्सकों की टीम को तकनीकी जांच का जिम्मा दिया. रिपोर्ट को रिम्स प्रबंधन ने स्वास्थ्य विभाग को भेजा, जिसके बाद विभाग ने एजी से जांच करने का आग्रह किया था.

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