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26 फोन कॉल..30 लाख फिरौती..और फिर मर्डर.. कानपुर अपहरणकांड की परत दर परत पड़ताल..

22 जून को हुआ था संजीत यादव का अपहरण.. साथ काम करने वाले 4 दोस्तो ने कर दिया कत्ल.. 31 दिन तक खाली हाथ घूमती रही पुलिस..

रजत मिश्र, उत्तर प्रदेश, ट्विटर- @rajatkmishra1
  • Jul 24 2020 6:15PM

(रजत के. मिश्र, ट्विटर- @rajatkmishra1)

 कानपुर के बर्रा लैब टेक्नीशियन संजीत यादव के अपहरणकांड में 31वें दिन दर्दनाक खुलासा हुआ, अपहरणकर्ताओं ने संजीत यादव की हत्या कर दी। पुलिस ने इस पूरे घटनाक्रम में चार आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है लेकिन पुलिस संजीत यादव को न तो बचा पाई और न अब तक उसका शव ढूंढ पाई है। ये पूरा मामला तब सुर्खियों में आया जब संजीत यादव का अपहरण करने वालो ने परिवार वालो से 30 लाख की भारी भरकम फिरौती की मांग करी और परिवार वालो ने पुलिस को विश्वास में लेकर 30 लाख रुपए अपहरणकर्ताओं तक पहुँचा दिए, पुलिस का दावा था कि इस लेन-देन के दौरान पुलिस किडनैपर्स को दबोच लेगी लेकिन अपहरणकर्ता बैग लेकर चंपत हो गए और पुलिस हाथ मलती रही। काफी किरकरी होने के बाद पुलिस ने बताया कि बैग में पैसों की जगह काग़ज़ थे जिसे परिवार ने पहले नकार दिया लेकिन बाद में परिवार भी पुलिस की हाँ में हाँ मिलाने लगा। कुल मिलाकर इस सनसनीखेज अपहरणकांड में तमाम छेद है जिनकी पड़ताल होना बाकी है। परिवार वाले भी अपने बयान से बार-बार पलट रहे है। जिससे कारण असमंजस की स्थिति बनी हुई है। 

कब-कब क्या हुआ - 

हम आपको तारीख दर तारीख बताते है कि इस सनसनीखेज अपहरणकांड में कब कब क्या हुआ। 

22 जून - लैब टेक्नीशियन संजीत यादव लापता हो गए। परिवार ने संजीत को अपने स्तर से ढूढ़ने की कोशिश की लेकिन उनका कोई पता नही चला।

23 जून- संजीत यादव के परिजनों ने कानपुर के बर्रा थाने की जनता नगर पुलिस चौकी में संजीत यादव की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करा दी।

24 जून - पुलिस की ढीली  पड़ताल से परिवारीजनों ने अपनी नाराज़गी जाहिर करी।

26 जून- कानपुर पुलिस कप्तान दिनेश कुमार के निर्देश के बाद FIR में राहुल यादव को नामजद किया गया।

27 जून - राहुल यादव की पकड़ के लिए दबिशें पड़ना शुरू हुई।

29 जून- अपहरणकर्ताओं ने संजीत यादव के परिवार वालो से 30 लाख की फिरौती के लिए फोन किया। इसके बाद अपहरणकर्ता लगातार संजीत यादव के परिवार को फोन करते रहे और 2 जुलाई तक फिरौती को रकम देने की बात कही। परिवार ने इसकी जानकारी तत्काल पुलिस अधिकारियों को दी, पुलिस ने सर्विलेंस सिस्टम से फोन नंबर ट्रेसिंग शुरू करी।

30 जून से 4 जुलाई - पुलिस परिवार वालो को लगातार कार्यवाही करने की बात कहकर दिलासा देती रही, लेकिन अब तक पुलिस किसी भी ठोस कार्यवाही की तरफ आगे नही बढ़ पाई थी।

5 जुलाई-  पुलिस की सुस्ती से नाराज संजीत यादव के परिजनों ने शास्त्री चौराहे पर जाम लगा दिया और जमकर हंगामा किया।

12 जुलाई - संजीत को मारने की धमकियों से दहशत में आये परिवार ने एसपी साउथ से मिलकर पुनः प्रार्थना पत्र दिया और जल्द कार्यवाही कराने की मांग करी। परिवार ने बताया कि अपहरणकर्ता संजीत को छोड़ने के लिए 30 लाख की रकम मांग रहे है। जिसके बाद अपहरणकर्ताओं को फंसाने के लिए रकम देने का जाल फेकने का प्लान बनाया गया।

13 जुलाई - इस पूरे अपहरणकांड में 13 जुलाई सबसे अहम तारीख है। 13 जुलाई को अपहरणकर्ताओं के कहने पर परिजनों ने 30 लाख रुपए से भरा बैग गुजैनी पुल से नीचे फेंका। इससे पहले अपहरणकर्ता बैग के साथ परिजनों को खूब घुमाते रहे, लेकिन शातिर बैंग लेकर फरार हो गए और पुलिस उनको गिरफ्तार नही कर पाई।

14 जुलाई - परिजनों ने हंगामा काटना शुरू कर दिया। पुलिस पर अपहरणकर्ताओं से मिले होने का आरोप लगाते हुए कहा कि पुलिस के कहने पर उन्होंने अपना गहना-जेवर बेंच कर 30 लाख रुपए इकट्ठा किया था जिसको बचाने की जिम्मेदारी पुलिस ने ली थी। हालांकि पुलिस का कहना था कि बैग में पैसे नही कागज रखवाए गए थे। इसी दिन पुलिस कप्तान रात में बर्रा थाने पहुँच गए और परिजनों से बात करके 4 दिन में संजीत को ढूढ़ने का भरोसा दिलाया। अब तक यह मामला सुर्खियों में आ चुका था।

14 जुलाई- कांग्रेस महासचिव प्रियंका वाड्रा और सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के मामले को लेकर ट्वीट किया और योगी सरकार को घेरना शुरू कर दिया।

16 जुलाई- चौतरफा घिरने के बाद इस अपहरणकांड में लगातार किरकिरी कराने वाले बर्रा इंस्पेक्टर रणजीत राय को संस्पेंड कर दिया गया और उनकी जगह सर्विलांस सेल के प्रभारी हरमीत सिंह को दिया बर्रा थाने का चार्ज दे दिया गया। 

17 जुलाई - हरमीत सिंह ने सर्विलांस के माध्यम से आरोपियों तक पहुँचने की कोशिशें शुरु करी लेकिन अपराधी शातिराना अंदाज में पुलिस की पहुँच से दूर थे।

18 जुलाई - पुलिस कप्तान का बताया समय पूरा हो गया लेकिन न तो संजीत यादव का कोई पता था और ना ही अपराधियो का..

22 जुलाई-  पुलिस ने बर्रा और मेहरबान सिंह का पुरवा निवासी संजीत यादव के दोस्तों से फिर से  पूछताछ शुरू करी।

22 जुलाई - पुलिस ने हॉस्पिटल से लेकर आने-जाने वाले रास्तों के सीसीटीवी फुटेज खंगाले, पुलिस कैमरों में झूझ रही थी और उधर संजीत के परिवार की उम्मीदे टूट रही थी।

23 जुलाई- पूरे घटनाक्रम में पहली बार पुलिस को बड़ी सफलता मिली, पुलिस ने 4 लोगो को गिरफ्तार किया। जिसके बाद संजीत यादव की हत्या की बात सामने आई।

पुलिस की रही ये बड़ी खामियां - अपहरणकर्ताओं  ने परिजनों से इस पूरे दौर में 26 बार फ़ोन पर बात की लेकिन पुलिस का सर्विलांस सिस्टम अपराधियो को ट्रेस नहीं कर पाई। पुलिस ने अस्पताल के आस-पास के कैमरों के CCTV फुटेज भी नही खंगाले सिर्फ हॉस्पिटल के अंदर के कैमरों को चेक किया और कर्मचारियों से पूछताछ करी।

परिजनों के मुताबिक पुलिस के कहने पर उन्होंने रुपए से भरा बैग  अपहरणकर्ताओं के बताए गुजैनी पुल के नीचे फेंक दिया लेकिन वहां पर न तो कोई पुलिस की टीम लगाई गई और ना आसपास के इलाकों की तलाशी ली गई, यहां तक कि पुलिस सिर्फ पुल के ऊपर से लौट गई।

STF, स्वॉट, सर्विलांस सब फेल - 

संजीत अपहरणकांड में पुलिस की हर इकाई फेल नजर आई। चाहे वह एसटीएफ हो स्वॉट, सर्विलांस या फिर मुखबिर तंत्र। अपहरणकर्ताओं ने 29 जून से 13 जुलाई तक परिजनों को कुल 26 बार फोन किया इस दौरान न तो उनकी कॉल ट्रेस की जा सकी और न ही उनकी लोकेशन मिली हालांकि पुलिस ने अपहरणकर्ताओं के मोबाइल रिचार्ज करने वाले दुकानदार को पकड़कर जरूर अपनी पीठ थपथपा ली लेकिन इससे ज्यादा पुलिस कुछ भी नहीं कर सकी।

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