जब 500 वर्षों हिंदुओं के अथाह संघर्ष के बाद जब अयोध्या में श्रीराम मंदिर का निर्माण शुरू हुआ तो मंदिर विरोधी इसे हजम नहीं कर पाए. चाहे वह श्रीराम को काल्पनिक बताने वाले हों, श्रीरामभक्तों को गोलियों से भुनवाने वाले हों या मंदिर के स्थान पर अस्पताल या कॉलेज की वकालत करने वाले हों, किसी को भी अयोध्या में श्रीराम मंदिर का निर्माण होना हजम नहीं हो रहा था. जिस तरह ऋषि मुनियों के यज्ञ के समय राक्षस विघ्न डालकर यज्ञ को खंडित करने का प्रयास करते थे, ठीक उसी तरह इन लोगों द्वारा अयोध्या श्रीराम मंदिर निर्माण में विघ्न डालने की कोशिशें फिर से शुरू हो गई हैं.
आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह सहित लगभग सभी विपक्षी दल आरोप लगा रहे हैं कि राम मंदिर निर्माण में घोटाला हुआ है. दरअसल जब ये लोग राममंदिर का निर्माण नहीं रोक पाए तो अब ये राम मंदिर को ही घोटाला साबित करने पर तुले हैं. लेकिन आप के संजय सिंह व सपा के तेजनारायण पांडेय सहित विपक्ष के घोटाले के आरोपों की हवा 24 घंटे में ही निकल गई है. मंदिर निर्माण में घोटाले के जो आरोप इन राजनेताओं ने लगाए थे, वो सभी झूठे साबित हुए हैं.
इन लोगों के आरोप का मुख्य आधार यह था कि जिस भूमि का इसी वर्ष 18 मार्च को तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने 18.50 करोड़ में रजिस्टर्ड एग्रीमेंट कराया, उस भूमि का एग्रीमेंट करने वाले रविमोहन तिवारी एवं सुल्तान अंसारी ने उसी तारीख को 10 मिनट पूर्व ही मात्र दो करोड़ रुपये में बैनामा कराया था. यह बताने के साथ आरोप लगाया था कि दो करोड़ की भूमि 18.50 करोड़ में एग्रीमेंट कराने के पीछे करोड़ों का घोटाला किया गया. जबकि सच्चाई यह है कि संबंधित भूमि का चार मार्च 2011 को यानी 10 साल पूर्व ही मो. इरफान, हरिदास एवं कुसुम पाठक ने दो करोड़ में रजिस्टर्ड एग्रीमेंट कराया था.
तीन साल बाद इस एग्रीमेंट का नवीनीकरण भी कराया गया. यह भूमि 2017 में हरिदास एवं कुसुम पाठक ने भू स्वामी नूर आलम, महफूज आलम एवं जावेद आलम से बैनामा करा ली और हरिदास एवं कुसुम पाठक से यह भूमि 17 सितंबर 2019 को रविमोहन तिवारी, सुल्तान अंसारी आदि आठ लोगों ने एग्रीमेंट करा ली और रविमोहन एवं सुल्तान अंसारी ने ही 18 मार्च को यह भूमि बैनामा करा ली. मंदिर विरोधी जिस भूमि को दो करोड़ का बता कर उसे 18.50 करोड़ में क्रय किए जाने पर आपत्ति जता रहे हैं, तय सर्किल रेट चार हजार आठ सौ रुपये प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से भी उसकी मालियत पांच करोड़ 79 लाख 84 हजार तय होती है.
आपको बता दें कि मालियत से इतर बाग बिजेसी एवं रामनगरी के आस-पास की जमीन का मौजूदा औसत मूल्य दो हजार रुपए प्रति वर्ग फीट है. अगर हिसाब से देखें तो ट्रस्ट ने संबंधित भूमि के लिए औसत मूल्य से भी काफी कम कीमत चुकाई है. संबंधित भूमि का क्षेत्रफल 12 हजार 80 वर्ग मीटर यानी एक लाख 29 हजार 981 वर्ग फीट है और इस हिसाब से ट्रस्ट ने 1423 रुपये प्रति वर्ग फीट से जमीन की कीमत अदा की है.
इसके अलावा ट्रस्ट के नाम संबंधित भूमि का रजिस्टर्ड एग्रीमेंट करने वाले सुल्तान अंसारी का कहना है कि संबंधित भूमि के क्रय-विक्रय में न हमने और न ट्रस्ट ने कोई धोखा किया है. घपले का आरोप लगाने वाले अनर्गल प्रलाप कर रहे हैं. सच्चाई यह है कि एक दशक पूर्व अयोध्या में जब जमीन की कीमत काफी कम थी, तभी हम लोगों ने दो करोड़ में संबंंधित भूमि का एग्रीमेंट कराया था. यह कहना गलत है कि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को दी गई भूमि में जमकर मलाई काटी गई, जबकि सच्चाई यह है कि राम मंदिर में सहयोग को ध्यान में रखकर इस जमीन को बाजार भाव से काफी कम में एग्रीमेंट किया गया है.
रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा है कि ट्रस्ट ने जो भी भूमि क्रय की है, वह बाजार भाव से कम मूल्य पर क्रय की है। जो राजनीतिक लोग इस संबंध में सवाल उठा रहे हैं, वह भ्रामक है और समाज को गुमराह करने के लिए है तथा राजनीतिक विद्वेष से प्रेरित है. सच तो ये है कि ट्रस्ट ने जमीन बाजार भाव से काफी काम कीमत खरीदी है. ऐसे में विपक्ष जो आरोप लगा रहा है वो बेबुनियाद हैं तथा ये सब राम मंदिर निर्माण में विघ्न डालने के लिए किया जा रहा है.