ये वो योद्धा हैं जिनकी एक एक सांस केवल राष्ट्र के नाम लिखी थी . उन्होंने अपना जीवन दे दिया इस देश को और चले गये सदा सदा के लिए उस लोक में जहाँ वीरों की मंडली एक साथ जमा है .. उनकी वीरता के गौरवगान को भुलाने की कोशिशे करवाई गयी लेकिन यशगाथा को दबाने का दम शायद किसी में नहीं होता .. उन तमाम ज्ञात अज्ञात वीर योद्धाओ में एक थे अमर बलिदानी धर्माराम जिन्होंने अपनी भुजाओ से भारत माता की रक्षा अंतिम सांस तक की और आखिर में माँ की गोद में सदा सदा के लिए सो गये.
शौर्य चक्र से सम्मानित इस शौर्यवान को आख़िरकार सम्मानित भी किया गया जब पाकिस्तान सीमा से सटे शहर बाडमेर जिला मुख्यालय पर जिले के सपूत वीरगति उपरान्त शौर्य वीर बलिदानी धर्माराम मूर्ति अनावरण 19 दिसम्बर भारत के सेनापति द्वारा किया गया था जिसमे मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे जी भी मौजूद रहीं .ज्ञात हो कि आज ही के दिन अर्थात 25 मई सन २०१५ का समय था जो जब जम्मू कश्मीर के कुलगाम में दोपहर करीब साढ़े बारह बजे बाड़मेर जिले के तारातरा गांव निवासी धर्माराम जाट ने अपनी अमरता से पहले पहले इस्लामिक आतंकी दल लश्कर ए तोइबा के एक मोस्ट वांटेड इस्लामिक आतंकी को मार गिराया और राष्ट्र को दिलाई थी निर्भयता.
जवान धर्माराम ने साहसपूर्वक जज्बा दिखाते हुए खुद को गोली लगने के बावजूद भी इनामी और लश्कर तैयबा के खूंखार आतंकी अख्यात उल्लाह को मार गिराया। आतंकी भागने के लिए गोलियां बरसाते हुए छत से कूदा। उसके छलांग लगाने तक धर्माराम ने उसके सीने में 30 गोलियां उतार दी। वीर धर्माराम ने वीरता प्रदर्शन कर अपने 15 साथियों की जान बचाई। आतंकियों की मुठभेड़ में धर्माराम को दो गोलियां लगी, लेकिन उन्हे पता ही नहीं चला। अन्य साथियों ने जब धर्माराम के शरीर से खून बहते देखा तो उन्हे कहा कि तुम्हे तो गोली लगी है।
इसके बावजूद धर्माराम साथियों से 10 मिनट तक बातचीत करते रहे। इसके बाद हेलिकॉप्टर पहुंच गया। 5 कि.मी. दूर यूनिट साइट पर उनका प्राथमिक उपचार किया गया। इसके 20-25 मिनट बाद उन्हे हेलिकॉप्टर से मिलिट्री हॉस्पिटल श्रीनगर भेज दिया गया। श्रीनगर में इलाज के दौरान धर्माराम ने अंतिम सांस ली और वे मातृभूमि की रक्षार्थ अमर हो गए। आज 25 मई को अमरता और शौर्य की उस महान मूर्ति को सुदर्शन परिवार बारम्बार नमन करते हुए उनकी यशगाथा को सदा सदा के लिए अमर रखने का संकल्प लेता है … धर्माराम अमर रहें .. जय हिन्द की सेना ..