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सादी खुर्द का नाम हुआ शचीपुरम.. योगी सरकार का एक और ज्वलंत फैसला

प्रदेश की सरकार ने वाराणसी के पास जाैनपुर जिले के गांव सादी खुर्द का नाम बदलने का प्रस्ताव केन्द्र सरकार के समक्ष प्रस्तुत किया था. जिसे अब केन्द्र सरकार ने मंजूरी दे दी है

Geeta
  • Sep 15 2021 6:13PM

याेगी सरकार इन दिनाें काफी एक्शन में दिखाई दे रही है... जी हां.. हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्याेंकि सरकार ने पहले ब्रिटिश युग के रेलवे स्टेशन रॉबर्ट्सगैंग का नाम सोनभद्र, मथुरा के पास फराह टाउन रेलवे स्टेशन, इलाहाबाद शहर को प्रयागराज और प्रतिष्ठित मुगलसराय जंक्शन का नाम भारतीय जनसंघ के संस्थापक पंडित दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर रखने वाले प्रस्ताव काे मंजूरी मिलने के लिए केन्द्र के पास भेजा गया था. जिसे बाद में मंजूरी मिल गई थी. जिसके बाद अब जाैनपुर जिले के गांव सादी खुर्द का नाम बदलने की मंजूरी मिल गई है.

बता दें कि प्रदेश की सरकार ने वाराणसी के पास जाैनपुर जिले के गांव सादी खुर्द का नाम बदलने का प्रस्ताव केन्द्र सरकार के समक्ष प्रस्तुत किया था. जिसे अब केन्द्र सरकार ने मंजूरी दे दी है. गाैरतलब है कि इस प्रस्ताव काे सरकार के समक्ष इस साल मार्च-अप्रैल में रखा गया था. अधिकारियाें ने इस बात की जानकारी साझा करते हुए बताया कि उन्नाव के पास सादा परगना हसनगंज का नाम दामोदर नगर और मुरादाबाद के पास ग्राम सरकड़ा खास का नाम बदलकर सारका बिश्नोई करने के यूपी सरकार के दो और प्रस्ताव विचाराधीन हैं।

कहा जा रहा है कि प्रदेश की सरकार आगे आने वाले दिनाें में केन्द्र से और अधिक नाम बदलने का प्रस्ताव रख सकती है. यूपी सरकार के एक अधिकारी ने कहा कि प्रस्ताव को पहले राज्य सरकार द्वारा जांचा जाएगा और फिर अंतिम मंजूरी के लिए केंद्र को सिफारिश की जाएगी। गाैरतलब है कि विचाराधीन प्रस्तावों में फिरोजाबाद जिले का नाम चंद्र नगर, संभल का नाम पृथ्वीराज नगर या कल्कि नगर, देवबंद का नाम देववरंद और सुल्तानपुर का नाम कुशभवनपुर रखा जाना है। 

गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा है, "इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी), भारतीय भौगोलिक सर्वेक्षण (जीएसआई), डाक विभाग और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की फील्ड इकाइयों से रिपोर्ट मांगने के बाद अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) जारी किया गया था।" यूपी के अलावा, गृह मंत्रालय ने सतारा में न्हवी बीके का नाम बदलकर जयपुर करने के महाराष्ट्र सरकार के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी।

आपकाें बता दें कि इससे पहले पश्चिम बंगाल का नाम बदलकर बांग्ला रखने की मांग लंबे समय तक चल रही है. इसे ठंड़े बस्ते में डाल दिया गया है. ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें एक संवैधानिक संशोधन की आवश्यकता है। विदेश मंत्रालय ने पहले नए नाम पर अपनी आपत्ति जताते हुए कहा था कि यह पड़ोसी बांग्लादेश जैसा लगता है।

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