ऐसी फोर्स करने वाली है प्रभु श्रीराम मंदिर की सुरक्षा जिस से बच कर निकल पाना असंभव है.. जानिये प्रभु के जन्मस्थान की रक्षक उस फोर्स के बारे में
एसएसएफ के हवाले होगी राममंदिर की सुरक्षा, जानिए क्यों पड़ी होगी इसकी जरूरत
पीएसी का बटालियन हेड क्वार्टर बनाने की तैयारी के बीच सरकार की मंशा राममंदिर एवं रामनगरी की सुरक्षा स्पेशल सिक्योरिटी फोर्स एसएसएफ के हवाले करने की है। इसका जिम्मा एसएसएफ के जवानों के कंधों पर होगा सरकार की योजना रामनगरी के साथ काशी और मथुरा जैसे प्रमुख तीर्थों की सुरक्षा भी एसएसएफ के हवाले करने की है।
राम मंदिर के साथ संपूर्ण राम नगरी की सुरक्षा साढ़े तीन दशक पूर्व मंदिर आंदोलन की शुरुआत के साथ सरकार की प्राथमिकताओं में रही है। 1990 में कारसेवकों को रोकने के लिए तत्कालीन मुलायम सिंंह सरकार ने अयोध्या को पुलिस एवं अर्ध सैनिक बलों की छावनी में तब्दील कर दिया था। सुरक्षा प्रबंधों के प्रति विश्वास करते हुए कहा था कि अयोध्या में परिंंदा भी पर नहीं मार सकता। हालांकि तत्कालीन मुख्यमंत्री का यह कथन सच नहीं साबित हो सका और वे कारसेवकों को अयोध्या में दाखिल होने से नहीं रोक सके थे। बाबरी विध्वंस के बाद से ही ये इलाका छावनी में तब्दील है. जनवरी 1993 में 67.77 एकड़ भूमि के अधिग्रहण के बाद अयोध्या की सुरक्षा को और कस दिया गया. पूरे क्षेत्र को लोहे और कंटीले तारों की बाड़, बैरीकेडिंंग के साथ सुरक्षा के सघन घेरे में जकड़ दिया गया। योगी सरकार ने इसी समस्या से निपटने के लिए एसएसएफ तैनात करने की योजना बनाई है।
यूपी एसएसएफ की 5 बटालियन गठित होंगी लेकिन इसकी शुरुआत पीएसी के जवानों से की जाएगी. आने वाले वक्त में उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती बोर्ड इस स्पेशल फोर्स के लिए भी भर्ती प्रक्रिया शुरू करेगा. सीआईएसएफ की तरह यूपी एसएसएफ को भी तलाशी लेने,हिरासत में लेकर पूछताछ करने के अधिकार होंगे.
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