भारत, मध्यप्रदेश
भोपाल. 8 जून से धार्मिक स्थल खुलेंगे और उसमें पूरी तरह से प्रशासन को केन्द्र की गाइडलाइन का पालन करवाना है। जैसे सैनेटाइजर से हाथ धोकर मंदिर में प्रवेश करना, प्रसाद को ना वितरित और ना ही ग्रहण करना। इसके साथ ही मंदिर में पूजा के समय कोई घंटी भी नहीं बजेगी । लेकिन इन सब बातों का पालन करवान अब प्रशासन के लिए भी एक चुनौती बन गया है।
दरअसल भोपाल के एक मंदिर के पुजारी ने इस व्यवस्था पर सवाल उठा दिए हैं। पुजारी ने कहा है कि सैनिटाइजर में एल्कोहल का प्रयोग होता है तो उससे हाथ धोकर हम मंदिर में भगवान के दर्शन कैसे करने दें। इससे हाथ में लेने के बाद मंदिर में प्रवेश करना भारतीय संस्कृति के अनुसार भी सही नहीं है। इस संबंध में वे कई पुजारियों के साथ गृहमंत्री को एक ज्ञापन भी सौंपेंगे, ताकि मंदिरों में सैनिटाइजर का उपयोग रोका जा सकें। जिससे मंदिरों की पवित्रता बनी रहे ऐसे में यह शासन की भी जिम्मेदारी है कि वह मंदिरों में हाथ धोने के लिए अन्य किसी दूसरे विकल्प की व्यवस्था करे।
उन्होंने कहा कि 8 जून से मंदिरों के पट सभी लोगों के लिए खोल दिए जाएंगे। शासन की गाइडलाइन का भी मंदिर समिति पालन करेगी, लेकिन मंदिरों में सैनिजाइजर के उपयोग करके प्रवेश करने की अनुमति किसी को भी नहीं दी जाएगी। मंदिरों में शराब का सेवन करके प्रवेश नहीं दिया जाता है, ऐसे में अल्कोहल से हाथ धोकर भगवान को प्रणाम करना या प्रसाद ग्रहण करना सही नहीं है।
इसके साथ ही प्रसाद का वितरण नहीं करना भी पुजारियों को रास नहीं आ रहा है। उन्होंने कहा कि जो भोग भगवान को लगेगा वो भक्त ग्रहण ना करें ये तो भगवान के भोग का अपमान होगा। उन्होंने शासन से सवाल किया कि जब दूसरे के हाथ से बना खाना और अन्य सामान लेकर लोग घर पर खा सकते हैं, तो प्रसाद भक्तों को देने से कोरोना कैसे फेल जाएगा।
भोपाल के प्रमुख मंदिरों को खोलने के लिए समितियों और पुजारियों ने तैयारी शुरू कर दी है। करुणाधाम मंदिर में सैनिटाइजर युक्त गेट लगाया गया है। इसके साथ प्रसाद के लिए अलग से खिड़की बनाई गई है। इससे पैकेट बंद प्रसाद भक्तों को दिए जाने की व्यवस्था की है। इधर गुफा मंदिर में भक्तों के आने जाने की अलग व्यवस्था के साथ ही एक सोशल डिस्टेंसिंग के लिए अलग से लोगों को लगाए जा गए हैं। साथ ही मंदिर में पुजारी और भक्तों के बीच किसी तरह का संपर्क नहीं हो सकेगा।
इधर, शासन के निर्देश के बाद सभी मंदिरों से घंटियां हटा दी गई हैं। इसके अलावा लोग अधिक देर तक मंदिर में न रुके इसलिए बैठने की व्यवस्था को भी फिलहाल बंद किया गया है। मंदिर में भक्त सिर्फ दर्शन के लिए आ सकेंगे। पूजा से लेकर प्रसाद और फूल चढ़ाने के साथ ही अगरबत्ती तक लगाने पर रोक रहेगी।