१२ जनवरी स्वामी विवेकानंद जयंती के उपलक्ष पर श्रीजानकीरण महाविद्यालय सभागार में स्वामी विवेकानंद की जीवन शैली पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में पधारे बतौर मुख्य वक्ता श्री डॉ. कौशल दुबे ने ने कहा कि वेदों के उपनिषदीय भाग की समाज में व्यवहारिक दृष्टि से स्वामी विवेकानंद के नव्य वेदांत में झलकती है। नव्य वेदांत के प्रणेता स्वामी विवेकानंद ने जब शिकागो सम्मेलन में एक ईश्वरीय सत्ता की बात अनेक तर्कों सहित सिद्ध की तो सम्मेलन में उपस्थित सभी विद्वतजन निरुत्तर हो गए।स्वामी विवेकानंद के कृतित्व व व्यक्तित्व की जानकारी देते हुए कहा कि विवेकानंद का नव्य वेदांत वर्तमान में ज्यादा प्रासंगिक है। उन्होंने कहा कि नव्य वेदांत की बातें राष्ट्र अध्यक्षों और आम जनता की समझ में आ जाए तो धार्मिक और आण्विक हिंसा स्वत: समाप्त हो जाएगी।
स्वामी विवेकानंद के आदर्शों से प्रेरणा लेने की विद्यार्थियों को दी सिख,
वहीं कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्रीजानकीरमण महाविद्यालय शासी निकाय के अध्यक्ष शरदचंद पालन ने स्वामी विवेकानंद के आदर्शों से प्रेरणा लेने की सीख विद्यार्थियों को दी। अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य डॉ. अभिजात कृष्ण त्रिपाठी ने वर्तमान संदर्भ में एक ओर विवेकानंद जी जैसे व्यक्तित्व के अवतरित होने की आवश्यकता प्रतिपादित की। महाविद्यालय के विद्यार्थियों में आशुतोष दुबे, विश्वजीत पटेल और प्राची पटेल ने स्वामी जी के आदर्शों व कृतित्व पर अपने विचार रखे। साथ ही बताया कि यदि युवा नियमित रूप से स्वामी विवेकानंद की रचनाओं को पढ़ते हें और उनपर अमल करते हैं तो निश्चित ही उन्हें जीवन में सफलता मिलेगी।