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भाईचारे की नींव भरने वाले अयोध्या के सेकुलर संतों, नेताओं को उलेमाओं का जवाब कर दिया खामोश

अयोध्या में कौन मुसलमान जाए कौन नहीं, इस पर आया बयान.

Rahul Pandey
  • Aug 4 2020 8:05AM

अयोध्या में जिस प्रकार से भाई चारे की धुन साधु संतों ने दिखाई थी उसको अब मौलानाओं का जवाब आया है.. भगवान श्रीरामलोक पवित्र अयोध्या में प्रभु श्रीराम मंदिर के भूमि पूजन में फ़ैज़ खान , असदुद्दीन ओवैसी, बाबर के खानदानी पक्षकार इकबाल अंसारी सहित मुस्लिम समाज के लोगों को आमंत्रित किए जाने पर इस्लामिक उलमा ने भारी नाराजगी जताई है। 

इस्लामिक उलमा का भाईचारे के तमाम ठेकेदारों को दो टूक जवाब आते हुए कहना है कि ऐसे मौके पर इस्लाम मज़हब के सभी लोगों को वहां किसी भी हाल में नहीं जाना नहीं चाहिए । यहां तक कि भाईचारे के नाम पर मिल रहे निमंत्रण तक को भी स्वीकार तक नहीं करना चाहिए..एक नामी मदरसा जामिया फातिमा जाहरा एंग्लो अरेबिक के मुखिया मौलाना लुतफुर्रहमान सादिक कासमी ने ये 2 टूक जवाब देते हुए एलान किया है कि बाबरी मस्जिद के सिलसिले में वो कई बार कह चुके हैं कि इस मुद्दे में जो कुछ हो गया है वह होने दिया जाए.

मौलाना के मुताबिक जो हमारा हक था वो छीन लिया गया.. मस्जिद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला मुसलमानों का हक मारे जाने जैसा है.. इतना ही नहीं मस्जिद के लिए मुसलमानों को जो भी दूसरी जगह दे दी गई है वह मुसलमानों को किसी भी हाल में कबूल नहीं है.. यहां ये जानना जरूरी है कि इस प्रकार की सोच रखने वाले मदरसे के प्रबंधक के मदरसे में सैकड़ों तालिब पढ़ते हैं और उनकी सोच भी लगभग उन्ही से मिलती जुलती है.. मौलाना ने साफ़ साफ़ कहा है कि आने वाले 5 अगस्त को श्रीराम मंदिर के भूमि पूजन के लिए जिन मुस्लिम लोगों को आमंत्रित किया गया है उनको वहां जाना नहीं चाहिए बल्कि उनको दावतनामा स्वीकार ही नहीं करना था। इसी क्रम में मदरसा जामिया शेखुल हिंद के मोहतमिम मौलाना मुफ्ती असद कासमी का कहना है कि हमारे साथ क्या हुआ यह सभी जानते हैं।

जहां तक भाईचारा कायम रखने की बात है तो वो आगे भी कायम रहेगा। मजहब-ए-इस्लाम यही तालीम देता है कि सभी धर्मों का सम्मान करें, लेकिन जहां तक मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन में मुस्लिम समाज के लोगों के जाने का सवाल है कि इसमें उन्हें नहीं जाना चाहिए। बल्कि सबसे पहले तो उन्हें दावतनामा कबूल ही नहीं करना चाहिए था, लेकिन उन्होंने इसे स्वीकार कर लिया तो अब उन लोगों को चाहिए कि वे वहां न जाएं।

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