यह उस समय की बात है जब अयोध्या में मुस्लिम पक्ष जबरन वहां बावरी स्थापित करने के लिए जोर आजमाइश कर रहा था। निचली अदालत से मोती खाने के बाद हाई कोर्ट फैसले को स्वीकार करने की बात करने वाला मुस्लिम पक्ष जिसे दूसरे शब्दों मेंबाबर का पक्ष कहा जाए तो गलत नहीं होगा बार-बार अपने बयान से पलट रहा था। प्रयागराज हाई कोर्ट के फैसले को किसी भी हाल में मरने की बात करने वाला मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड जब सुप्रीम कोर्ट गया तो हिंदू पक्ष ने भी वहां अपनी पैरवी शुरू की और हालात यह भी बने की सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी यूथ कांग्रेस का एक नेता श्री राम के मंदिर का शिलान्यास रुकवाने के लिए अदालत जाता है और अदालत एक बार फिर उसकी पिटीशन को खारिज कर देती है।
फिलहाल अब जब भगवान श्री राम के मंदिर के निर्माण का कार्य पूरी तरह से प्रशस्त हो चुका है तब हर किसी को कुछ समय पहले एक मुस्लिम नेता का दिया गया वो बयान याद आ रहा है जिसमें उन्होंने कहा था कि मुसलमानों को स्वेच्छा से अयोध्या पर अपना दावा छोड़ देना चाहिए क्योंकि अब हिंदू किसी भी रूप में अपने प्रभु श्री राम की जन्म स्थली को वापस लेकर रहेगा। इसी के साथ उन्होंने आगे कहा था कि हिंदू समाज इतना जागृत हो चुका है कि अयोध्या में किसी भी रूप में वाह मस्जिद को स्वीकार नहीं करेगा भले ही उसके लिए पूरी भारत की फौज अयोध्या में क्यों ना तैनात कर दी जाए । उस समय उनके इस बयान का उनकी ही मुस्लिम समाज में बहुत भारी विरोध हुआ था।
यह बयान देने वाली कोई और नहीं बल्कि मुस्लिम नेता बुक्कल नवाब थे जिन्होंने कहा था कि अयोध्या में श्रीराम मंदिर ही बनना चाहिये क्योंकि अयोध्या में श्रीराम मंदिर का बनना देश की सामजिक एकता तथा उन्नति के लिए हितकारी साबित होगा. अगर अयोध्या में मिलिट्री भी उतार दी जाए तो भी वहां मस्जिद नहीं बन सकती है इसलिए अब वो समय आ गया है जब मंदिर-मस्जिद विवाद को ख़त्म किया जाए तथा अयोध्या में श्रीराम मंदिर का निर्माण किया जाए. आपको बता दें कि भारतीय जनता पार्टी के एमएलसी बुक्कल नवाब ने कहा कि मिलिट्री लगाकर भी अयोध्या में मस्जिद का निर्माण नहीं किया जा सकता. गौरतलब है कि बुक्कल नबाब इससे पहले समाजवादी पार्टी में थे जो योगी सरकार आने के बाद भाजपा में शामिल हो गये थे. बुक्कल नवाब ने भाजपा में शामिल होने के बाद लखनऊ के एक मंदिर में घंटा भी चढ़ाया था जिसके बाद इस्लामिक मौलानाओं ने भाजपा नेता बुक्कल नवाब के खिलाफ फतवा जारी किया था तथा उन्हें इस्लाम से खारिज कर दिया था.