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वर्ष 1977 में कांग्रेस शासन के 30 वर्ष पूरे होने पर व्यंगकार शरद जोशी का ये लेख सोशल मीडिया में हो रहा वायरल

जानिये क्या है वायरल हो रहे व्यंगकार शरद जोशी के उस लेख में.

Rahul Pandey
  • Oct 11 2020 6:16PM
तीस साल का इतिहास साक्षी है कांग्रेस ने हमेशा संतुलन की नीति को बनाए रखा। 
जो कहा वो किया नहीं, जो किया वो बताया नहीं, जो बताया वह था नहीं, जो था वह गलत था। 

अहिंसा की नीति पर विश्वास किया और उस नीति को संतुलित किया लाठी और गोली से। 
सत्य की नीति पर चली, पर सच बोलने वाले से सदा नाराज रही।
पेड़ लगाने का आन्दोलन चलाया और ठेके देकर जंगल के जंगल साफ़ कर दिए।
राहत दी मगर टैक्स बढ़ा दिए। 
शराब के ठेके दिए, दारु के कारखाने खुलवाए, 
पर नशाबंदी का समर्थन करती रही। 
हिंदी की हिमायती रही अंग्रेजी को चालू रखा। 
योजना बनायी तो लागू नहीं होने दी। 
लागू की तो रोक दिया। 
रोक दिया तो चालू नहीं की।

समस्याएं उठी तो कमीशन बैठे, रिपोर्ट आई तो पढ़ा नहीं।

कांग्रेस का इतिहास निरंतर संतुलन का इतिहास है। समाजवाद की समर्थक रही, 
पर पूंजीवाद को शिकायत का मौका नहीं दिया। 
नारा दिया तो पूरा नहीं किया। 
प्राइवेट सेक्टर के खिलाफ पब्लिक सेक्टर को खड़ा किया, पब्लिक सेक्टर के खिलाफ प्राइवेट सेक्टर को।
 दोनों के बीच खुद खड़ी हो गई । तीस साल तक खड़ी रही। 
एक को बढ़ने नहीं दिया। 
दूसरे को घटने नहीं दिया।

आत्मनिर्भरता पर जोर देते रहे, विदेशों से मदद मांगते रहे। 

‘यूथ’ को बढ़ावा दिया, 
बुढ्ढो को टिकट दिया।

जो जीता वह मुख्यमंत्री बना, जो हारा सो गवर्नर हो गया। 

जो केंद्र में बेकार था उसे राज्य में भेजा, 
जो राज्य में बेकार था उसे उसे केंद्र में ले आए। 
जो दोनों जगह बेकार थे उसे एम्बेसेडर बना दिया। 
वह देश का प्रतिनिधित्व करने लगा।

एकता पर जोर दिया आपस में लड़ाते रहे।

 जातिवाद का विरोध किया, 
मगर वोट बैंक का हमेशा ख्याल रखा। 
प्रार्थनाएं सुनीं और भूल गए। 
आश्वासन दिए, पर निभाए नहीं।
 जिन्हें निभाया वे आश्वश्त नहीं हुए।
 मेहनत पर जोर दिया, अभिनन्दन करवाते रहे। 
जनता की सुनते रहे अफसर की मानते रहे।
शांति की अपील की, भाषण देते रहे।
खुद कुछ किया नहीं दुसरे का होने नहीं दिया। 

संतुलन की इन्तहां यह हुई कि उत्तर में जोर था तब दक्षिण में कमजोर थे। 
दक्षिण में जीते तो उत्तर में हार गए। 
तीस साल तक पूरे, पूरे तीस साल तक, 
कांग्रेस एक सरकार नहीं, एक संतुलन का नाम था।
 संतुलन, 
तम्बू की तरह तनी रही
गुब्बारे की तरह फैली रही, 
हवा की तरह सनसनाती रही बर्फ सी जमी रही पूरे तीस साल।

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