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BHU में M.A इन हिन्दू स्टडीज में पढ़ाई जाएगी रामायण-महाभारत.... PG स्तर पर कोर्स शुरू करने वाली देश की पहली यूनिवर्सिटी

नारस हिन्दू यूनिवर्सिटी में अब हिंदुत्व का ज्ञान मिलेगा अर्थात अब अध्यात्म, धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष के साथ ही रामायण और महाभारत को भी पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया गया है।

Prem Kashyap Mishra
  • Jan 20 2022 5:18PM

बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी में अब हिंदुत्व का ज्ञान मिलेगा अर्थात अब अध्यात्म, धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष के साथ ही रामायण और महाभारत को भी पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया गया है। इससे हिन्दुओं में अब ख़ुशी की लहर है क्योंकि छात्रों को अब हिन्दू दर्शन का भी पाठ पढने मिलेगा। साथ ही पुनर्जन्म के बंधन और इसके सिद्धांतों को भी नए कोर्स में जानने का मौका मिलेगा। काशी को धर्म के साथ-साथ मोक्ष नगरी भी कहा जाता है। यहां लोग मोक्ष की कामना से भी आते हैं। अब इससे जुड़े पहलुओं से युवा पीढ़ी को रूबरू कराया जाएगा। 

 भारत अध्ययन केंद्र की ओर से कोर्स तैयार करने के बाद इसकी पढ़ाई भी शुरू हो गई है। परास्नातक यानी पीजी स्तर पर कोर्स शुरू करने वाला बीएचयू देश का पहला विश्वविद्यालय है। एमए हिंदू अध्ययन को उत्तीर्ण करने के लिए हर विद्यार्थी को 16 पाठ्यक्रमों का अध्ययन करना होगा, जिसमें 9 तो अनिवार्य हैं जबकि सात वैकल्पिक हैं।

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के भारत अध्ययन केन्द्र सभागार में मंगलवार को पूर्वाह्ण 11 बजे से आयोजित केन्द्र द्वारा संचालित एम.ए. इन हिन्दू स्टडीज़ (परास्नातक हिन्दू अध्ययन पाठ्यक्रम) के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रो. विजय कुमार शुक्ल ने हिन्दू अध्ययन पाठ्यक्रम को महामना पं. मदनमोहन मालवीय की संकल्पना के अनुरूप बताते हुए इसकी महत्ता को रेखांकित किया।

अंतर वैषयिक यह पाठ्यक्रम विश्वविद्यालय के इतिहास में पहली बार संचालित किया जा रहा है।  दर्शन शास्त्र विभाग हिंदुत्व का लक्ष्य, आधार और रूपरेखा, तो संस्कृति विभाग पुरा उपकरणों, स्थापत्य कला और उत्खनन से मिले सबूतों का विश्लेषण करेगा। संस्कृत विभाग के आचार्य श्लोक, शास्त्रों और प्राचीन साहित्यों में छिपे काम की बातों को उजागर करेंगे। वहीं भारत अध्ययन केंद्र हिंदू लाइफ स्टाइल और आध्यात्मिक साइंस पर फोकस करेगा।

भारत अध्ययन केंद्र बताएगा कि वैदिक युग में तत्व विज्ञान, प्राचीन युद्ध कौशल, सैन्य विज्ञान, कला-विज्ञान किस तरह से उन्नति कर रहीं थी। आज उसकी क्या संभावना है। वहीं, रामायण, महाभारत, ज्ञान मीमांसा, नाट्यकला, भाषा विज्ञान, कालिदास, तुलसीदास, आर्य समाज, बुद्ध, जैनी और स्वामी विवेकानंद के बताए रास्तों से छात्रों को अवगत कराया जाएगा।

 

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