राजस्थान, वो राज्य जो कभी हिंदू राजाओं की भूमि हुआ करती थी। उनके विशालकायें किले आज भी उनकी वीरता को दर्शातें हैं। पर वही राजस्थान आज ऐसे शासक के हांथ लगा हुआ है वो ना तो हिंदुत्व को बचा पा रहा है और ना ही हिंदुओं को। क्योंकि राजस्थान से आये दिन हिंदुओं पर हमले की खबरे सामने आतीं रहती हैं। हाल का मामला हिंदुओं की दुकानों को जलाने से जुड़ा है।
चाकूबाजी की घटना के बाद संप्रदायक हिंसा
बता दें कि राजस्थान के बारां जिले में चाकूबाजी की घटना के बाद संप्रदायक हिंसा भड़क गई थी जिसमें समुदाय विशेष के दंगाईयों ने जमकर आतंक मचाया और कई हिंदुओं की दुकाने फूंक डालीं। जिसके बाद प्रशासन की कार्रवाई भी हिंदुओं के खिलाफ ही हुई जिसके बाद हिंदूवादी संघठनो ने बाजार बंद करा दिये और सरकार से नुकसान की भरपाई की मांग की।
1 दर्जन से अधिक संघठनो ने बंद को समर्थन दिया
बता दें कि विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के बंद के आव्हान पर भाजपा सहित करीब 1 दर्जन से अधिक संघठनो ने बंद को समर्थन दिया। बता दें रि हिंदूवादी संघठनो ने जिला प्रशासन पर सरकार के दबाव में आकर निर्दोष लोगों पर मुकदमा दायर करने का आरोप लगाया है जबकि समुदाय विशेष के लोगों की गिरफ्तारी नहीं करने पर प्रशासन पर सरंक्षण देने का आरोप लगाया गया है।
क्या था मामला ?
बता दें कि कमल सिंह नाम का व्यक्ति ठेले से फल खरीद रहा था। इसी दौरान उसकी वहां मौजूद फरीद, आबिद और समीर से कहासुनी हो गई. कहासुनी में युवकों ने उन पर चाकू से हमला कर दिया. उन्हें बचाने दौड़े दुकानदार राकेश नागर पर भी हमला किया गया। जिसके बाद हिंसा भड़क गई। उपद्रवियों ने पत्थरबाजी करते हुए आगजनी और लूटपाट की, कई हिंदुओं की दुकानों को फूँका गया।
हिंदू संगठनों का आरोप है कि पुलिस शासन के आदेश पर हिंदू संगठन के कार्यकर्ताओं पर ही मुकदमें दर्ज कर रही है। य़े सब राजनीतिक द्वेष के चलते हो रहा है। पर सोचने वाली बात यह है कि गहलोत सरकार राजनीति के लिए कब तक हिंदुओ को बलिदान करती रहेगी?