आज हम राज्यसभा चुनाव में बसपाई विधायकों की बदलती निष्ठा को देख रहे हैं। उत्तर प्रदेश में दिसंबर-जनवरी में तब एक बार फिर विधायकों की निष्ठा कसौटी पर होगी, जब विधान परिषद की 12 सीटों पर चुनाव होंगे। इसमें एक सीट सदस्यता रद्द होने के कारण पहले से खाली चल रही है और 11 सीटें 30 जनवरी को खाली हो जाएंगी। विधायकों की संख्या जीत में अहम भूमिका निभाएगी। यही वजह है कि बीएसपी प्रमुख मायावती समाजवादी पार्टी से हिसाब बराबर करने की धमकी दे रही हैं।
जिन 12 सीटों पर चुनाव होंगे, उसमें अभी 6 सीटें सपा, 3 सीटें बीजेपी और 2 सीटें बसपा के पास हैं। एक और सीट बसपा के नसीमुद्दीन सिद्दीकी की थी, लेकिन उनके कांग्रेस में शामिल होने के बाद जुलाई के आखिर में उनकी सदस्यता रद कर दी गई। अब दिसंबर-जनवरी में इन सीटों पर हो रहे चुनाव में एक बार फिर नंबर गेम होगा।
विधान सभा में कौन कितना पावरफुल
प्रदेश में इस समय विधानसभा में एक नाम निर्देशित सदस्य को छोड़ दिया जाए तो कुल 395 सदस्य हैं। इसमें 304 सीटें बीजेपी, 48 सपा, 18 बसपा, 9 अपना दल सोनेलाल, 7 कांग्रेस, 4 सुभासपा, 1, आरएलडी, 1 निषाद पार्टी व 3 निर्दलीय के पास हैं। हालांकि, जब चुनाव होंगे तब तक 7 सीटों पर हो रहे उपचुनाव का परिणाम आ चुका होगा और संभवत: अब्दुल्ला आजम की सदस्यता निरस्त होने के चलते खाली चल रही स्वार सीट पर भी फैसला हो चुका होगा। ऐसे में 12 सीटों पर होने वाले चुनाव के लिए प्रति सीट 32 वोटों की जरूरत होगी।
अगर आज के संख्या बल को आधार बनाएं तो बीजेपी 9 सीटें जीतनें में आसानी से सक्षम है। इसके बाद भी उसके पास 12 वोट अतिरिक्त बचते हैं और सहयोगी अपना दल व पिछले चुनाव में सहयोग करने वाले दूसरे दलों के विधायकों को लेकर उसका दसवीं सीट पर भी दावा बन सकता है। वहीं, सपा अकेले दम पर 1 सीट जीतने में सक्षम है, लेकिन, बसपा व कांग्रेस की मदद से दो सीटें आसानी से जीत जाएगी। हालांकि, 7 सीटों पर हो रहे उपचुनाव का नतीजा भी दलों की संख्या में बदलाव लाएगा।
जानिए.. किसकी सदस्यता हो रही है खत्म
बीजेपी : दिनेश शर्मा, स्वतंत्र देव सिंह, लक्ष्मण आचार्य
एसपी: अहमद हसन, आशू मलिक, रमेश यादव, रामजतन राजभर, वीरेंद्र सिंह, साहब सिंह सैनी
बीएसपी: धर्मवीर सिंह अशोक, प्रदीप कुमार जाटव, नसीमुद्दीन सिद्दीकी (अब कांग्रेस में हैं। दलबदल कानून में सदस्यता रद्द की जा चुकी है)