हाथरस केस में योगी सरकार को बदनाम करने की बड़ी साजिश के सुबूत अब सामने आने लगे हैं। सीएए और एनआरसी के दंगाइयों की मदद करने वाले संगठनों ने इस साजिश को परवान चढ़ाने के लिए जमकर फंडिंग की है, अब इसके साक्ष्य खुफिया एजेंसियों को मिल रहे हैं। पीएफआई जैसे कुख्यात कट्टरपंथी इस्लामी संगठनों ने इस साजिश में एक बार फिर से न सिर्फ फंडिंग की बल्कि सोशल मीडिया का भी जमकर दुरुपयोग किया है।
दूसरे राज्यों में घटी घटनाओं के वीभत्स चित्रों से छेंडछांड कर उन्हें हाथरस का बताकर प्रचारित किया गया। साथ ही लड़की की जीभ काटे जाने, सामूहिक दुष्कर्म, रीढ़ की हड्डी टूटे होने जैसी तमाम झूठी बातें फैलाई गई। बतौर उदाहरण जैसे चंडीगढ़ में घटित हुई एक घटना में मृतका के फोटो को हाथरस की बेटी का बताया गया। एक बड़े चैनल के स्क्रीनशॉट से छेंडछांड कर तमाम नफरत भरे पोस्टरों को बनाया गया।
उत्तर प्रदेश की साइबर सेल ने इससे संबंधित मामले को दर्ज कर जांच शुरू कर दी है, जल्द ही दोषियों को दंडित किया जा सकेगा। परंतु एक बात अब एकदम सत्य प्रतीत हो रही है कि कट्टर इस्लामी संगठनों को यूपी में योगी आदित्यनाथ का मुख्यमंत्री बने रहना एकदम रास नही आ रहा है। इन ताकतों को जब भी मौका मिलता है तब ये एक लोकप्रिय मुख्यमंत्री को पद से हटाने के कुचक्र रचते हैं। यह बात अब देश प्रदेश के लोग ठीक से समझ रहे हैं।