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सिद्धपीठ हथियाराम मठ पर 23 मार्च को आयेंगे संघ प्रमुख मोहन भागवत

राष्ट्रीय स्वयंसेवक के सरसंघचालक मोहन भागवत बुधवार को सिद्धपीठ हथियाराम मठ पर आएंगे,मठ पर लगभग पांच घंटे रहेंगे संघ प्रमुख,मठ में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी की गई

दिनेश चन्द्र पाण्डेय जिला संवाददाता गाजीपुर
  • Mar 22 2022 9:38PM
गाजीपुर संवाददाता । राष्ट्रीय स्वयंसेवक के सरसंघचालक मोहन भागवत बुधवार को सिद्धपीठ हथियाराम मठ पर आएंगे, जहां वह करीब पांच घंटे तक रहेंगे। इसको लेकर सुरक्षा व्यवस्था सहित सभी तैयारी पूरी कर ली गई है। एसडीएम वीर बहादुर यादव, क्षेत्राधिकारी गौरव कुमार सिंह, कोतवाल शिवप्रताप वर्मा मंगलवार को दिन भर चक्रमण करते रहे। फूल-मालाओं से मंदिर परिसर को सजाया गया है। यहां पर आरएसएस से जुड़े पूर्वांचल के सैकड़ों पदाधिकारियों के आने की संभावना है। वह वाराणसी से चलकर बुधवार को 11.15 बजे हथियाराम मठ पहुंचेंगे। 11.30 से 12 बजे तक सिद्धदात्री बुढि़या माई का दर्शन व अनुष्ठान में भाग लेंगे। इसके बाद मठ के महंत महामंडलेश्वर भवानीनंदन यति महाराज से मुलाकात करेंगे। इसके बाद कन्या पीजी कालेज की छात्राओं से संवाद करेंगे। शाम चार बजे वह यहां से वाराणसी के लिए प्रस्थान करेंगे। इसे लेकर सोमवार को डीएम मंगला प्रसाद सिंह व एसपी रामबदन सिंह ने मठ पहुंचकर सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया था। धार्मिक अनुष्ठान से जुड़ा है कार्यक्रम : भवानी नंदन यति सिद्धपीठ हथियाराम मठ के पीठाधीश्वर भवानी नंदन यति महाराज ने मंगलवार को पत्रकार वार्ता में कहा कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के आगमन का पूरा कार्यक्रम धार्मिक अनुष्ठान से जुड़ा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक के सरसंघचालक मोहन भागवत सिद्धदात्री बुढि़या माई के दर्शन व अनुष्ठान में भाग लेंगे। कहा कि उनका प्रयास सिद्धपीठ की पंरपरा को आगे बढ़ाना है। हथियाराम मठ पर शारदीय नवरात्र व हरिहरपुर कालीमंदिर में बासंतीय नवरात्र पर कार्यक्रम होता है। मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण के संबंध में पूछने पर बताया कि मेरा कोई राजनीतिक मंच नहीं है, अगर मुझे वहां बुलाया गया तो जा सकता हूं। राष्ट्र धर्म को सर्वोपरि मानता है सिद्धपीठ हथियाराम मठ लगभग 700 वर्ष प्राचीन है। यह सिद्धपीठ राष्ट्र धर्म को सर्वोपरि मानता है। यहां आसीन होने वाले संत यति सन्यासी कहे जाते हैं। इस गद्दी की परंपरा दत्तात्रेय, शुकदेव तथा शंकराचार्य से प्रारंभ होती है। मठ का प्रमाण सामान्य जनश्रुति, प्राचीन हस्तलिपि, लिखित पुस्तक तथा भारतीय इतिहास में भी मिलता है। श्रीसिंह श्याम यति से इस पीठ की संत परंपरा प्रारंभ हुई। यह देश की प्रसिद्ध सिद्धपीठों में शुमार है। इस मठ की शाखाएं देश के कोने-कोने में हैं, इसके लाखों शिष्य हैं। महामंडलेश्वर स्वामी भवानीनंदन यति महाराज 26वें पीठाधीश्वर के रूप में सिद्धपीठ हथियाराम की गद्दी पर हैं। सिद्धपीठ की कार्यपद्धति पर प्रकाश डालते हुए श्रीयति ने बताया कि मठ के ब्रह्मलीन गुरुजी प्राचीन समय से ‘भज सेवायाम’ को मूल मंत्र मानते हुए समाज सेवा को भजन का ही स्वरूप मानते रहे हैं। लकवा बीमारी से मुक्ति दिलाती हैं बुढि़या माई सिद्ध पीठ हथियाराम मठ स्थित वृद्धम्बिका देवी (बुढि़या माई) के दर्शन मात्र से लकवा जैसे असाध्य रोगों से भी मुक्ति मिल जाती है। प्राचीन काल में घने जंगलों के बीच मिट्टी के चौरी के रूप में विद्यमान थीं। उसके आस-पास हाथियों का झुंड रहता था। उसी समय यहां पर श्रीसिंह श्याम यति ने नदी के किनारे तपस्या की। इसके बाद बुढि़या मां ने प्रकट होकर लोक कल्याण के लिए आशीर्वाद दिया। उसी समय से मिट्टी का कच्चा चबूतरा बनाकर पूजन-अर्चन होने लगा। आज भी बुढि़यां मां का कच्चा चबूतरा है। यहां पर हमेशा अखंड ज्योति जलती है। दूर-दराज से श्रद्धालु आकर मत्था टेकते हैं

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