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गत वर्षो के भांति आजाद हिन्द भगत संगठन ने शुरू किया संचय अभियान, युद्ध स्तर पर होगा कार्य तब ही हो सकेगा कल्याण।

गत वर्षो के भांति आजाद हिन्द भगत संगठन ने शुरू किया संचय अभियान, युद्ध स्तर पर होगा कार्य तब ही हो सकेगा कल्याण। जनपद सीतापुर में आजाद हिन्द भगत संगठन के द्वारा पिछले 8 वर्षो के भांति ही इस वर्ष भी जीवनदायनी नदी सरायन नदी के गोपाल दास आश्रम स्थित घाट की सफाई अभियान प्रारंभ किया गया

दीपक अग्रवाल
  • Jun 24 2024 9:46PM
गत वर्षो के भांति आजाद हिन्द भगत संगठन ने शुरू किया संचय अभियान, युद्ध स्तर पर होगा कार्य तब ही होगा कल्याण। जनपद सीतापुर में आजाद हिन्द भगत संगठन के द्वारा पिछले 8 वर्षो के भांति ही इस वर्ष भी जीवनदायनी नदी सरायन नदी के गोपाल दास आश्रम स्थित घाट की सफाई अभियान प्रारंभ किया गया।संगठन के कार्यकर्ताओं के द्वारा यह कार्य पिछले 8 वर्षो से अधिक से किया जाता रहा है जिसमे जनपद के कई नागरिकों के द्वारा भी हिस्सा लिया जाता रहा है।वर्तमान समय में घटते जल स्तर तथा बढ़ती गर्मी का प्रमुख कारण नदियों के निकट अतिक्रमण अवैध कब्जे के कारण नदियों का सिकुड़ना और पेड़ पौधों का काटा जाना और जंगलों का कम होना। इन सभी का प्रकोप कम करने हेतु प्रदेश व देश के अनेकों संस्थाएं कार्य करती रही है परंतु वृहद स्तर पर शासन और प्रशासन का सहयोग न में के कारण ही आज वातावरण में परिवर्तन और गर्मी का अत्यधिक बढ़ना गंभीर विषय बना हुआ है। जिस प्रकार से प्रत्येक वर्ष किताबी आंकड़ों में लाखो पौधे लगाए जाते रहे है उस प्रकार से आज वर्तमान में आज अरण्यों का अंबार होना चाहिए परंतु आज कनाडा की तुलना में जहां प्रति व्यक्ति के हिसाब से लगभग 9000 पेड़ है वही भारत में ये आंकड़ा मात्र 29 पेड़ प्रति व्यक्ति के हिसाब से है।जो काफी गुना कम है साथ ही अन्य देशों जैसे स्विट्जरलैंड, इंग्लैंड में जहां मरती हुई नदियों को पुनर्जीवित कर लिया गया वही देश में नदियों के आस पास अवैध कब्जे तथा तय मानक सीमा के अंतर्गत पक्के मकान बनाकर नदियों को संकरा कर दिया गया है जिसका दुष्परिणाम आज सभी प्राणियों को भुगतना पड़ रहा है।वर्तमान में अगर इससे संबंधित कोई पुख्ता कार्यवाही या उपाय नहीं किया गया तो भविष्य में पूर्ण रूप से नदिया विलुप्त हो जाएगी।ऐसा ही छोटे छोटे स्तर पर स्वयं सेवी संस्थाएं कार्य कर रही है परंतु उनके द्वारा किए जा रहे कार्य का कोई खासा प्रभाव नहीं पड़ रहा।जानकारी के अनुसार संगठन के द्वारा पिछले कई वर्षो से नदी सफाई के साथ साथ निकटम पौधारोपण करने पश्चात नदी में मछलियों को भी छोड़ा जाता रहा है। परंतु अब ऐसे अभियानों को युद्ध स्तर तक ले जाने की आवश्यकता है ताकि आने वाली पीढ़ी को एक अच्छा,स्वस्थ्य ,सुंदर और सुरक्षित वातारण दिया जा सके।

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