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छत्तीसगढ़ में क्वॉरेंटाइन सेंटर्स बाँट रहे हैं मौत! कोरोना के आँकड़े बढ़ रहे और इस तरह क्वॉरेंटाइन सेंटर्स में मौतों का आँकड़ा भी, पढ़िये पूरी रिपोर्ट

छत्तीसगढ़ में बीते कुछ दिनों से लगातार लोगों की मौत होने से क्वॉरेंटाइन सेंटर्स की व्यवस्था पर सवाल खड़ा हो गया है।

योगेश मिश्रा
  • May 26 2020 11:12PM
छत्तीसगढ़ में कोरोना से जूझते हुए मरीजों और अन्य राज्यों से यहां आए प्रवासी मजदूरों की व्यवस्था के लिए प्रशासन और सरकार कितनी भी दलीलें दे, लेकिन जमीनी स्तर पर ही दावे खोखले साबित हो रहे हैं। यह हम नहीं कह रहे, बल्कि छत्तीसगढ़ में बीते कुछ दिनों से 
क्वॉरेंटाइन सेंटर्स में रहने वाले लोगों और वहां तैनात कर्मियों की मौतों का आंकड़ा इस बात को कह रहा है। दरअसल छत्तीसगढ़ में शुरुआती दिनों में कोरोना के मामले कम थे, भर्ती मरीज बड़ी तेजी से बेहतर स्थिति पाकर अपने घरों की ओर रवाना भी हो रहे थे।
उसके बाद एकाएक छत्तीसगढ़ में अब हालात बिगड़ चुके हैं। यह आंकड़ा दिनों दिन बढ़ता जा रहा है। वहीं दूसरी ओर अन्य राज्यों से छत्तीसगढ़ आए मजदूरों को रखने के लिए क्वॉरेंटाइन सेंटर्स बनाए गए हैं। जहां पर सरकार और प्रशासन के अधिकारियों का दावा है कि सब कुछ अच्छा है, पर जिस तरह से वह रहने वाले मजदूरों और कर्मियों के साथ जो घट रहा है, वह कई तरह की चिंताओं को पैदा करने के लिए काफी है। दरअसल छत्तीसगढ़ में बीते कुछ दिनों से लगातार लोगों की मौत होने से क्वॉरेंटाइन सेंटर्स की व्यवस्था पर सवाल खड़ा हो गया है। 
नजर डालते हैं छत्तीसगढ़ में क्वॉरेंटाइन सेंटर्स में हुई मौतों पर।
छत्तीसगढ़ के क्वारंटाइन सेंटर में हुई मौत-

14 मई को रायगढ़ ज़िले के सारंगढ़ क्वारंटाइन सेंटर में 27 साल के अर्जुन निषाद ने कथित रूप से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी।

17 मई को मुंगेली ज़िले के किरना गाँव के क्वारंटाइन सेंटर में 31 साल के योगेश वर्मा की साँप के काटने से मौत हो गई. योगेश पुणे से एक हज़ार किलोमीटर से अधिक की दूरी पैदल तय करके अपने गाँव लौटे थे और उन्हें गाँव के क्वारंटाइन सेंटर में रखा गया था।

इसी तरह 18 मई को बालोद ज़िले के परसवाली क्वारंटाइन सेंटर में 29 साल के सूरज यादव ने कथित रूप से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।

उसी दिन राजनांदगांव ज़िले के सीताकसा क्वारंटाइन सेंटर में 28 साल के बुधारु राम की साँप के काटने से मौत हो गई।

19 मई को बलरामपुर ज़िले के सेमली लेंजुआ-पारा क्वारंटाइन सेंटर में ड्यूटी कर रहे शिक्षक सियारत भगत की मौत हो गई।

20 मई को बेमेतरा ज़िले के सेमरिया क्वारंटाइन सेंटर में 35 साल के आदिवासी राजू ध्रुव की मौत हो गई।

21 मई को जांजगीर-चांपा ज़िले के 35 साल के बीरबल माहेश्वरी ने मुलमुला क्वारंटाइन सेंटर में दम तोड़ दिया।

23 मई को मुंगेली ज़िले के छीतापुर क्वारंटाइन सेंटर में 22 वर्षीय एक श्रमिक पुनीत राम टंडन की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई।

24 मई को बालोद ज़िले के पचेड़ा क्वारंटाइन सेंटर में रखी गई 20 साल की अनूपा नामक एक युवती की इलाज के दौरान मौत हो गई। 

25 मई की दोपहर लूंड्रा के एक युवक ने अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. दिल्ली से लौटे इस युवक को क्वारंटाइन में भेजा गया था जहाँ तबीयत ख़राब होने के बाद उसे अंबिकापुर भेजा गया था।

दूसरी ओर प्रवासी श्रमिकों के लिए गांवों में बनाए गए क्वारेंटाइन सेंटर्स की व्यवस्था राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा जिलों को जारी आपदा राहत निधि तथा ग्राम पंचायतों को दिए गए चौदहवें वित्त आयोग व मूलभूत की राशि से की जा रही है। प्रदेश में अभी 18 हजार 833 क्वारेंटाइन सेंटर्स हैं जिनकी कुल क्षमता छह लाख 90 हजार 922 है। वर्तमान में इन सेंटरों में एक लाख 72 हजार लोग रखे गए हैं। कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के लिए अभी 47 हजार से अधिक लोग होम-क्वारेंटाइन में हैं।

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