रालोद प्रदेश अध्यक्ष रामाशीष राय द्वारा सिविक चुनाव अपने दम पर लड़ने की घोषणा से उपजा विवाद अभी शांत भी नहीं हुआ था कि सोमवार को एक बार फिर से सपा और रालोद की राहें जुदा होती नज़र आई। सपा ने सड़क पर पैदल मार्च करते हुए अपने विरोध का प्रदर्शन किया। वहीं रालोद विधायकों ने सदन की कार्यवाही में हिस्सा लिया। ऐसे में दोनों पार्टियों के साथ न होने से एक बार फिर से गठबंधन में संकट नजर आ रहा है।
आपको बता दें कि बागपत में 20 दिन पहले रालोद प्रदेश रामाशीष राय ने एलान किया था कि पार्टी सिविक चुनाव अपने दम पर लड़ेगी क्योंकि सपा और रालोद का गठबंधन हो रखा है। ऐसे में रालोद के अकेले लड़ने की घोषणा से सियासी माहौल गरम हो गया है।
वहीं अगले दिन रालोद ने स्पष्टीकरण दिया कि रामाशीष सिर्फ अपनी राय दि रहे थे। चयन समिति निर्मित कर उसे चुनाव की जिम्मेदारी दी गई है और इसकी रिपोर्ट समिति अधिष्ठाता वर्ग को देंगी। वहीं से तय होगा कि चुनाव किस तरह से लड़ा जाएगा। यह भी सफाई दी गई कि सपा के साथ उसका मजबूत गठबंधन है।
प्रदेश अध्यक्ष की घोशणा के अनुसार सपा के अखिलेश यादव के नेतृत्व में सपा प्रदेश कार्यालय से पैदल ही विधानसभा के लिए निकले और जमकर विरोध प्रदर्शन किया। जब रोका गया तो वे सड़क पर बैठ गए और यहीं छलावरण विधानसभा लगाते हुए दिवंगत विधायक अरविंद गिरि केलिए शोकसभा की।
वहीं बाद में सदन के अपमान की घोषणा करते हुए धरना समाप्त कर दिया। इस दौरान रालोद विधायक उनके साथ नहीं थे जबकि सबको को उम्मीद थी कि सपा-रालोद मिलकर ही प्रदर्शन करेंगे क्योंकि रालोद के भी 8 में से 7 विधायक लखनऊ में मौजूद थे।
पूर्व राष्ट्रीय सचिव सपा राजेंद्र चौधरी ने कहा कि पदयात्रा का यह कार्यक्रम केवल सपा के ही विधायक और विधान परिषद सदस्यों का था। इसलिए इसमें अन्य किसी को नहीं बुलाया गया था।
वहीं नेता और विधायक दल रालोद के राजपाल बालियान ने कहा कि सपाइयों ने अपनी पदयात्रा में बुलाया ही नहीं, वर्ना हम जरूर जाते। हम चौधरी चरण सिंह की प्रतिमा पर धरना देकर सीधे सदन में पहुंच गए। हालांकि इसके बाद भी हम अपनी तरफ से ही प्रदर्शन में जाना चाहते थे, पर इससे पहले ही सपाइयों ने प्रदर्शन खत्म कर दिया।