विशेष लोक अदालत के स्मरणोत्सव समारोह को मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने शनिवार को संबोधित किया। अपने भाषण में CJI ने लोक अदालतों के महत्व पर प्रकाश डाला। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि, भारत में न्यायिक प्रक्रिया वादियों के लिए सजा जैसी बन जाती है। इस वजह से लोग अक्सर अपने कानूनी अधिकारों से भी कम कीमत पर समझौता स्वीकार करने को विवश हो जाते हैं। लोग थका देने वाली मुकदमेबाजी को खत्म कर समझौते की तलाश करने लगते हैं।
मुकदमेबाजी से बाहर निकलना चाहते
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने विशेष लोक अदालत में निपटाए गए कई मामलों का हवाला दिया और उन्होंने एक मोटर दुर्घटना मामले का जिक्र करते हुए बताया कि, दावेदार बढ़े हुए मुआवजे का हकदार होने के बाद भी कम मुआवजे पर मामला निपटाने को तैयार हो गया था।
CJI ने कहा कि, पक्षकार किसी भी तरह के समझौते को स्वीकार करने को तैयार होते हैं, क्योंकि वे इस मुकदमेबाजी से जल्द से जल्द बाहर निकलना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि, लोक अदालतों के माध्यम से न्याय प्रदान करने की प्रक्रिया को संस्थागत बनाने की जरूरत है।
भारतीय संस्कृति का हिस्सा है मध्यस्थता
इस कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने भी हिस्सा लिया। कानून मंत्री ने कहा कि मध्यस्थता भारतीय संस्कृति का एक पुराना हिस्सा है। भगवान श्री कृष्ण ने भी महाभारत के युद्ध में कौरवों और पांडवों के बीच मध्यस्थता करने का प्रयास किया था।
920 केस का हुआ निपटारा
सर्वोच्च अदालत ने विशेष लोक अदालत सप्ताह के उपलक्ष्य में शनिवार को स्मरणोत्सव समारोह का आयोजन किया था। 29 जुलाई से दो अगस्त 2024 तक विशेष अदालतों का यह आयोजन किया गया। सुनवाई के लिए विशेष लोक अदालत में कुल 14,045 मामलों का चयन किया गया था। वहीं लोक अदालत पीठों के सामने 4,883 मामले सूचीबद्ध किए गए थे। इनमें से कुल 920 मामलों का निपटारा किया गया।