ज्ञानवापी मुद्दे के बाद अब मथुरा मुक्ति की बारी है। मथुरा मामले में शाही ईदगाह की जमीन पर हिन्दू के अधिकार के दस्तावेज कोर्ट में पेश किये गए हैं। इससे यह बात साबित होती है कि ईदगाह की जगह पर कृष्ण मंदिर था जिसे तोड़ कर ही ईदगाह बनाई गई है। वैसे भी ज्ञानवापी परिसर में हिन्दू अबशेष मिलने से यह बात पुख्ता हो जाती है कि भारत में कई ऐसे स्थान हैं जहाँ मंदिरों को ध्वस्त करके मस्जिदें बनाई गई हैं।
मथुरा स्थित श्रीकृष्ण जन्मस्थान मंदिर एवं शाही ईदगाह ढाँचे को लेकर कोर्ट में नई याचिका पेश की गई है। याचिका में कहा गया है कि विवादित ईदगाह ढाँचा केशवदेव मंदिर का गर्भगृह है, इसलिए सुबह 4:30 बजे लाउडस्पीकर पर अजान को प्रतिबंधित की जाए। इसके साथ ही जन्मस्थान ट्रस्ट ने ईदगाह सहित 13.37 एकड़ भूमि पर दावा ठोकते हुए कागजात सौंपे है।
सिविल कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई के दौरान श्रीकृष्ण जन्मस्थान ट्रस्ट ने कहा कि शाही ईदगाह ढाँचा की जमीन सहित आसपास के 13.37 एकड़ जमीन मंदिर के हैं। ट्रस्ट के वकील मुकेश खंडेलवाल का कहना है कि जमीन का खसरा-खतौनी और नगर निगम के कागज न्यायालय में पेश किए गए हैं।
ज्ञानवापी विवादित ढाँचे में शिवलिंग मिलने के बाद अब मथुरा के शाही ईदगाह मस्जिद को लेकर नई याचिका दायर कर इसे तत्काल सील करने की माँग की गई थी। आशंका जताई गई थी कि मथुरा के मंदिर में सबूत मिटाए जा सकते हैं, ऐसे में उसे सील करने का आदेश देकर अदालत साक्ष्य की सुरक्षा सुनिश्चित करे।
अगर मामले की गंभीरता को समझें तो 13.37 एकड़ भूमि के मालिकाना हक का विवाद है। इसमें 10.9 एकड़ जमीन श्रीकृष्ण जन्मस्थान के पास पहले से मौजूद है जबकि 2.5 एकड़ जमीन शाही ईदगाह मस्जिद है जिसपर बड़ी चालाकी से मुस्लिम पक्ष ने धीरे-धीरे कब्जा किया है। अब इस मामले में हिंदू पक्ष ने पूरी जमीन पर दावा करते हुए दस्तावेज कोर्ट के हवाले किये हैं। इसमें हिन्दू पक्ष का आरोप है कि मामले में हिंदुओं के साथ धोखा करके कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट की जमीन को बिना किसी समझौते के शाही ईदगाह को दे दिया गया था।