पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी नोएडा डेफ सोसायटी के बच्चों को बनाना चाहती थी स्लीपर मॉड्यूल
मूकबधिरों की साइन लैंग्वेज को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI हथियार बनाने की तैयारी में थी।
मूकबधिरों की साइन लैंग्वेज को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI हथियार बनाने की तैयारी में थी। यही वजह है कि विदेशी फंडिंग से कराए जाने वाले धर्मांतरण में नोएडा डेफ सोसायटी को टारगेट किया गया। धर्मांतरण के रैकेट की जांच में जुटी एजेंसियों की पड़ताल में यह बात सामने आ रही है। सूत्रों के अनुसार, इन मूकबधिरों को ही स्लीपर मॉड्यूल में शामिल करने की साजिश थी। ऐसा होने पर साइन लैंग्वेज समाज में आसानी से हर कोई डिकोड नहीं कर पाता। इन पर कोई शक भी नहीं करता। यही नहीं मूकबधिरों से दूसरे स्लीपर मॉड्यूल को भी साइन लैंग्वेज में दक्ष बनाया जाना था। शायद यही वह वजह है जिसके तहत धर्मांतरण के बाद मूकबधिरों को देश के दूसरे प्रदेशों में भावनात्मक रूप से जोड़ कर भेजा गया है।धर्मांतरण की मुहिम चलाने के आरोप में गिरफ्तार हुए दोनों आरोपित मौलानाओं को रिमांड पर लेकर एटीएस की टीम ने फिर पूछताछ शुरू कर दी है। इसमें नोएडा के डेफ सोसायटी और दिल्ली के जामिया नगर से चल रहे इस्लामिक दावाह सेंटर से जुड़े कई सवाल बताए जा रहे हैं। अब आगे की पड़ताल का विषय यह भी है कि धर्मांतरण के बाद दूसरे प्रदेशों में भेजे गए छात्रों को कहां रखा गया। क्या उनको किसी विशेष प्रशिक्षण शिविर में भेजा गया। यह बात लगभग सामने आ चुकी है धर्मांतरण करने वालों को कट्टरता से जोड़ने की हर संभव कोशिश की जा रही थी। इसके लिए उनके पहले के धर्म व समाज, परिवार के प्रति ब्रेनवॉश कर एक तरह से नफरत भरी गई।कई अभिभावकों से एटीएस व अन्य एजेंसियों ने जो जानकारी ली है उसमें यह बात सामने आई है। एक अभिभावक का कहना है कि उनका बच्चा धर्मांतरण से पहले सामान्य था, लेकिन बाद में ऐसा लगा कि उसके दिमाग में पूरी तरह से नफरत घोल कर भर दी गई हो।
सभी धर्मांतरण अलग-अलग समय पर करवाए गए। इसमें और छात्रों को जोड़ने के लिए कुछ इस रैकेट की तरफ से फंडेड टूर भी करवाए गए थे। इन टूर में छात्रों पर लाखों रुपये का खर्चा हुआ था। टूर में जाने वाले छात्रों को यह बताया गया था कि सोसायटी में इसकी किसी को जानकारी न होने पाए। कुल मिलाकर यह जताने की कोशिश की गई कि धर्मांतरण करने के बाद जिंदगी बिल्कुल बदल जाएगी। कुछ को डर भी दिखाया गया।
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