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एक चालक,चार जिले और करोड़ों का फर्जीवाड़ा, दुघर्टना दावा के प्रकरणों में बीमा कंपनी ने जताई आशंका,

4 जिले में हुए तमाम सड़क हादसों में एक ही चालक घटना के लिए मिला जिम्मेदार , कुछ प्रकरण में गवाह भी मिले समान ।

जीतेन्द्र
  • Mar 11 2021 5:59PM
आपने अक्सर ही टीवी सीरियल्स में बीमा कंपनी को चूना लगाने की साजिश बनातेे देखा होगा,अब जबलपुर में भी ऐसा ही एक फर्जीवाड़े की आशंका बीमा कंपनी द्वारा दर्शाई गई है,जहा एक ही वाहन चालक 4 अलग अलग जिलों में निरंतर वर्ष 2016 से ऐक्सिडेंट किए जा रहा है, चौंकाने वाली बात यह कि इनमें से कुछ प्रकरण में तो गवाह भी समान ही मिलें है।
मिली जानकारी के अनुसार एक वाहन चालक प्रदेश के चार जिलों में वर्ष 2016 के अलग-अलग महीनों में सड़क हादसों को अंजाम देता रहा। हादसों में ज्यादातर लोग घायल हुए, कुछ की मौत भी हुई। घायलों व मृतकों के स्वजन ने जोखिम की भरपाई के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। करोड़ों रुपये मोटर दुर्घटना बीमा का दावा किया गया। भुगतान के लिए प्रकरण जब बीमा कंपनी पहुंचा तो फर्जीवाड़े की आशंका सामने आ गई। दरअसल, जबलपुर समेत दमोह, मंडला व नरसिंहपुर जिले में हुए तमाम सड़क हादसों में घटना के लिए एक ही चालक जिम्मेदार मिला। दुर्घटना के कुछ प्रकरण में गवाह भी समान मिले। बीमा कंपनी ने गड़बड़ी पकड़ी और हकीकत सामने लाने के लिए पुलिस अधीक्षक से जांच की मांग की। पुलिस अधीक्षक सिद्धार्थ बहुगुणा ने शिकायत को गंभीरता से लेते हुए जांच के निर्देश दिए हैं। ओमती पुलिस प्रकरण की जांच में जुट गई है।

दो करोड़ 64 लाख से ज्यादा का क्लेम मांगा :
चार जिलों में हुए अलग-अलग सड़क हादसों में घायल हुए लोगों व मृतकों के स्वजन ने ढाई रुपये से ज्यादा बीमा राशि पाने के लिए दावा ठोंका है। सड़क दुर्घटना के प्रकरण जबलपुर, दमोह, नरसिंहपुर व मंडला जिले के विभिन्न थानों में दर्ज हैं। 11 प्रकरण में दो करोड़ 64 लाख 17 हजार रुपये का क्लेम मांगा गया है।
 
पहले भी किया जा चुका है इस प्रकार का फर्जीवाड़ा,
सड़क दुर्घटना में बीमा की राशि हड़पकर बीमा कंपनियों व सरकार को चूना लगाने वाली यह पहली घटना नहीं है। इससे पूर्व बेलबाग व ग्वारीघाट थाना क्षेत्र में ऐसे करीब दो दर्जन प्रकरण सामहने आ चुके हैं। बेलबाग के प्रकरण में दर्ज 12 से ज्यादा सड़क दुर्घटनों में जिस चिकित्सक की एमएलसी रिपोर्ट लगाई गई है वे वर्षों से विदेश में चिकित्सा व्यवसाय कर रहे हैं। हैरानी बात यह है कि प्रकरणों को दर्ज करने के बाद पुलिस ने फाइल बंद कर दी। ऐसे एक अन्य प्रकरण में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय संज्ञान ले चुका है।

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