कामदगिरि भे राम प्रसादा, अवलोकत अपहरत विषादा। तुलसीदास की रामचरित मानस में वर्णित इन पंक्तियों से प्रभावित होकर देश दुनिया के लोग चित्रकूट स्थित कामदगिरि पर्वत की परिक्रमा करने आते हैं। इन पंक्तियों का अर्थ है कि जो भी इस पर्वत के दर्शन कर लेता है, यह पर्वत उसके जीवन से विषाद का अपहरण कर लेता है। क्योंकि कामदगिरि वह पर्वत है, जहां भगवान राम ने माता सीता और अनुज लक्ष्मण के साथ अपने वनवास का सर्वाधिक समय व्यतीत किया था। इस पर्वत का परिक्रमा पथ यूपी के चित्रकूट और मध्य प्रदेश के सतना जिले से गुजरता है।
यह परिक्रमा पथ लोगों के अवैध अतिक्रमण का शिकार हो चुका है। जिसकी वजह से कई बार अधिक भीड़ भाड़ हो जाने पर भगदड़ से श्रद्धालुओं को अपनी जान से हाँथ धोना पडा है। सतना जनपद स्थित परिक्रमा पथ के एक हिस्से में 20 अगस्त 2014 को सोमवती अमावस्या के दिन हुई भगदड़ में 10 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी। उसके बाद सतना जिला प्रशासन ने अपने हिस्से के परिक्रमा पथ को एक अभियान चलाकर अवैध अतिक्रमण से मुक्त कराया था। परंतु उत्तर प्रदेश के हिस्से का परिक्रमा पथ अब भी अवैध अतिक्रमण का शिकार है।
कामदगिरि के संकरे परिक्रमा पथ को चौड़ा करने के लिए अब खोही गांव के 69 निर्माण हटाए जाएंगे। क्योंकि पिछले वर्ष मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने परिक्रमा के दौरान यह आदेश दिए थे। अधिकारियों ने मार्ग की नापजोख कर निशान भी लगा दिए हैं। यहां से विस्थापित लोगों को 150 मीटर दूर लक्ष्मण पहाड़ी के पास बसाया जाएगा।
बीते साल सितंबर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने चित्रकूट का दो दिवसीय दौरा किया था। कामदगिरि की पांच किमी परिक्रमा के दौरान तीन किमी दूरी पर खोही बाजार में परिक्रमा पथ काफी संकरा मिला तो उन्होंने डीएम शेषमणि पांडेय को निर्देश दिए थे कि मठ, मंदिर छोड़कर अन्य निर्माण हटवाएं।
अधिकारियों ने खोही में जलेबी वाली गली समेत अन्य 69 निर्माण चिह्नित किए। तहसीलदार कर्वी दिलीप कुमार सिंह ने बताया कि नापजोख कर ली गई है। कुछ लोग आवास विहीन हैं, उन्हें खोही बाजार से 150 मीटर दूर लक्ष्मण पहाड़ी के पास जगह दी जाएगी। अपर जिलाधिकारी जीपी सिंह ने कहा कि सहमति से लोगों को हटाएंगे।