आज जिस Swadeshi की बात हर जुबान पर है उसको इतिहास में पालन करवाना व लागू कराना इतना आसान नहीं था । स्वदेशी के महाअभियान को शुरू करना और उसको उसके अंजाम तक पहुंचाना बेहद मुश्किल लक्ष्य था.. पाश्चात्य संस्कृत के पीछे भाग रहे समाज को अचानक ही एक नया मोड़ देना बहुत मुश्किल कार्य था. विशेषकर उनके लिए जो वामपंथियों की साजिशों का शिकार हो गए थे और खुद को चीनी व यूरोपियन वस्तुओं के लिए अनुकूल कर चुके थे।
ज्यादा समय की बात नहीं है ये.. दिल्ली प्रदूषण के कोहरे से संघर्ष कर रही थी. दिल्ली वालों के हर सांस के अंदर जहर जा रहा था. चारों तरफ प्रदूषण से परेशान इसी प्रकार से मरीज अस्पताल में भर्ती हो रहे थे जैसे आज कोरोना के चलते हो रहे हैं.. ऐसे में सुरेश चव्हाणके जी ने स्वदेशी व वैदिक पद्धति से हवन कर के दिल्ली को प्रदूषण मुक्त करने की बात बिंदास बोल के माध्यम से कही थी, जिस पर अचानक ही वामपंथी समूह और उस से जुड़ा हुआ एक मीडिया वर्ग टूट पड़ा था..
फिर तो चल निकला था चारों तरफ विरोध का दौर और हर तरफ दुहाई दी जाने लगी उस विज्ञान की जिस पर सिर्फ वामपंथी सिद्धांत लागू होते थे.. यद्यपि सुरेश चव्हाणके जी नेइन विरोधों के बाद भी अपने कदम पीछे नहीं खींचे थे और उन्होंने वेद विज्ञान है का सिद्धांत अपने स्टूडियो के लाइव डेमो में करके भी दिखाया.. इसके बाद बाकायदा इसका परीक्षण सुदर्शन न्यूज़ स्टूडियो में हवन करके भी दिखाया . सुदर्शन न्यूज़ संभवत पहला स्टूडियो रहा होगा जहां वैदिक पद्धति से हवन वेद मंत्रों के उच्चारण के साथ किया गया और यह बताने का प्रयास किया गया कि हमारे पूर्वजों ने हमें हर समस्या का समाधान दिया है।
बाकायदा स्टूडियो में प्रदूषण मापक यंत्र लगाये गए और उसके उपरांत यह साबित और सिद्धि हुआ कि हवन करने से प्रदूषण कम होता है। इस स्वदेशी पद्धति को उसके बाद दिल्ली में बहुत बड़ी संख्या में आम जनता द्वारा अपनाया गया जिसका कालांतर में सार्थक असर देखने को मिला और प्रदूषण में तेजी से गिरावट आई थी। नरेंद्र मोदी जी ने जब स्वदेशी अभियान से भारत को आत्मनिर्भर कराने की बात कही थी तब लोगों के जेहन में एक बार फिर से वो समय गूंज और घूम गया जब सुरेश जी ने पूरे वामपंथी वर्ग की चुनौती अकेले स्वीकार करते हुए उन्हें परास्त किया था. इसी मुद्दे पर देखिये विशेष बिंदास बोल, आज रात 8 बजे ..