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अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत, वन विभाग पर सटीक बैठती यह कहावत

पहले हाथी की मृत्यु के बाद वन विभाग का अमला आया हरकत में, दूसरे हाथी की तलाश के लिए ड्रोन के साथ लगाई १०० लोगे की टीम, अगर पहले दिखाई होती सक्रियता तो बच जाती हाथी की जान।

जीतेन्द्र चिमनानि
  • Nov 29 2020 3:37PM

कान्हा के जंगलों से भटक कर दो हाथी जबलपुर की सीमा में प्रवेश कर गए थे जिसमें से एक हाथी की जंगली सूअर को पकड़ने के लिए बिछाई गई करंट भरी तार में फंसकर मौत हो गई । उक्त घटना के बाद दूसरे हाथी को सुरक्षित रेस्क्यू करने के लिए वन विभाग का अमला हरकत में आया है वन विभाग ने कान्हा पेंच  से एक्सपर्ट को बुलाकर दूसरे हाथी की खोज शुरू कर दी है। 100 कर्मचारियों की 10 अलग-अलग टीमें जंगल की खाक छानने में जुटी हुईं हैं, इसके अलावा ड्रोन कैमरों से लापता हाथी की तलाश की गई, जिसकी पहली लोकेशन शुक्रवार की रात 2 बजे तक बरगी-मंडला के बीच नर्मदा तट पर मिली थी, रात में ही वह नदी पार करके मंडला जिले में चला गया था।
उसकी आखिरी लोकेशन शनिवार की शाम 7 बजे तक मंडला वन मंडल के बीजाडांडी से लगे कोंड्रा तालाब के पास दर्ज की गई। दूसरे हाथी के जिंदा रहने पर वन विभाग के अफसर काफी राहत महसूस कर रहे हैं, लेकिन लोगों का कहना है कि काश ये सारी कवायद और सक्रियता अफसरों ने पहले कर ली होती तो शायद पहला हाथी जिंदा होता।



साथी की मौत से बेखबर हो सकता है दूसरा हाथी
विशेषज्ञों के अनुसार हाथी सबसे ज्यादा समझदार और भावुक वन्य प्राणी होता है। वह जंगल में घूमने के दौरान सामान्य वॉक करता है, मस्ती के दौरान वह अपनी सूँड और सिर हिलाकर अपने ग्रुप को संदेश देता है, लेकिन जब हाथी किसी परेशानी या बेचैनी की हालत में होता है तो वह काफी तेजी से भागता है।

ड्रोन कैमरों में जो वीडियो और ऑडियो कैद हुए, उनमें हाथी तेज गति से भाग रहा है। ड्रोन कैमरों में कैद हुईं उसकी कुछ आवाजें सुनकर अनुमान लगाया जा रहा है कि वो शायद अपने साथी की मौत से बेखबर है। उसे लग रहा है कि उसका साथी भटक गया है, इसलिए वो लगातार उसे कॉल कर रहा है।
सबसे बड़ा सवाल अगर समय रहते हो जाता वन विभाग का अमला सक्रिय तो बच सकती थी हाथी की जान
3 दिन तक दोनों हाथी जबलपुर की सीमाओं के आसपास विचरण करते रहें जीसकी संपूर्ण जानकारी वन विभाग को भी थी जिसके लिए वन विभाग द्वारा रेस्क्यू प्रोग्राम भी बनाया गया लेकिन हाथियों की जान की सुरक्षा को गंभीरता से ना लेते हुए एक्शन प्लान को सक्रियता से लागू नहीं किया जा सका। वन विभाग की लापरवाही के चलते एक हाथी की मौत हुई अगर समय रहते तत्परता से एक्शन प्लान को लागू किया जाता तो बच सकती थी हाथी की जान।


डीएफओ की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल
सबसे ज्यादा सवाल डीएफओ अंजना सुचिता तिर्की की कार्यप्रणाली पर खड़े किए जा रहे हैं, क्योंकि जबलपुर आने से पहले वे कान्हा टाइगर रिजर्व जैसे नेशनल पार्क की डायरेक्टर थीं। वन्य जीवों की सुरक्षा और उनके रेस्क्यू से जुड़ीं सभी जानकारियाँ भी उन्हें होंगी, लेकिन उनकी तरफ से पहले ऐसे कोई प्रयास क्यों नहीं किए गए यह बड़ा प्रश्न है।
शिकारियों की गिरफ्तारी कर अपनी पीठ थपथपा रहा वन विभाग
इधर हाथी की मौत के मामले में वन विभाग ने करंट भरे तार बिछाने वाले दो शिकारियों को गिरफ्तार किया है। वन विभाग के अनुसार पकड़े गए शिकारियों में डुंगरिया मोहास निवासी पंचम आदिवासी और मुकेश पटेल शामिल हैं। दोनों ने जंगली सुअरों के शिकार के लिए तार बिछाने की बात कबूल की है, लिहाजा दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया है, वहीं एक अन्य की तलाश की जा रही है।
हालाँकि वन विभाग की इस स्क्रिप्ट पर भी सवाल खड़े किए जा रहे हैं। कुछ ग्रामीणों का आरोप है कि करंट के तार सुअरों के लिए नहीं, बल्कि हाथी के लिए ही बिछाए गए थे, लेकिन घायल होने के बाद हाथी मुँह के बल गिरा और उसके दाँत जमीन में धँस गए थे, जिसके कारण शिकारी दाँत निकालने में सफल नहीं हो पाए।

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