विधान परिषद के शिक्षक व स्नातक कोटे की 11 सीटों के लिए बृहस्पतिवार को नामांकन शुरू होने के साथ ही प्रदेश में एक और सियासी बिसात सज जाएगी। लंबे समय तक शिक्षक दल (शर्मा गुट) के प्रभाव व पकड़ की पहचान बने ये चुनाव इस बार भाजपा, सपा, कांग्रेस और कुछ अन्य की विशेष दिलचस्पी तथा पिछले चुनाव में कुछ स्थानों पर बाजी पलट जाने के कारण खास बन गए हैं।
ये सभी 11 सीटें 6 मई को ही रिक्त घोषित हो चुकी थीं, पर कोरोना के चलते चुनाव अब हो रहे हैं। इनमें से दो पर भाजपा, दो पर सपा, चार पर शिक्षक दल शर्मा गुट व तीन पर निर्दल का कब्जा था। इनमें 5 स्नातक कोटे की हैं और 6 शिक्षक कोटे की। 2014 में हुए चुनाव में स्नातक कोटे की 5 सीटों में आगरा सपा, वाराणसी व इलाहाबाद-झांसी भाजपा, मेरठ शिक्षक दल शर्मा गुट और लखनऊ निर्दल उमेश द्विवेदी के कब्जे में रही थीं।
शिक्षक कोटे की सीटों में बड़ा उलटफेर करते हुए बरेली-मुरादाबाद में सपा समर्थित संजय मिश्र ने इस सीट से शर्मा गुट के मौजूदा एमएलसी सुभाष चंद्र शर्मा को पराजित कर शिक्षक संघ शर्मा गुट को बड़ा झटका दिया था। आमतौर पर इन चुनावों में अभी तक कोई बड़ा चामत्कारिक उलटफेर न कर पाने वाली भाजपा ने इस बार काफी तैयारी की है। मतदाताओं के नाम जुड़वाने से लेकर सभी जगह मंत्रियों के साथ पार्टी के वरिष्ठ लोगों को प्रभारी बनाकर लगाया गया है। पार्टी ने 11 में से 9 के उम्मीदवार भी तय कर दिए हैं।