पहले सिर्फ वामपंथ ही था चीन का गुलाम..फिर पाकिस्तान बना और अब ईरान..ये दोनों है इस्लामिक मुल्क
पाकिस्तान है सुन्नी बहुल मुसलमानों का देश और ईरान है शिया बहुल मुस्लिम मुल्क..
इस्लामिक मुल्क ईरान ने कुछ समय पहले धारा 370 हटाए जाने के बाद में कश्मीर मामले में जिस प्रकार से दखल देने की कोशिश की और दुस्साहसिक रूप से दुनिया भर के सभी इस्लामिक मुल्कों को एक हो जाने का आह्वान किया था, उस समय लिया भारत सरकार द्वारा भांप लिया गया था कि यहां आने वाले समय में कहीं न कहीं मौका मिलने पर भारत के विरुद्ध कुछ ना कुछ गलत कदम जरूर उठाएगा। आखिरकार भारत से खुन्नस और अमेरिका से दुश्मनी में ईरान जा बैठा है उस धोखेबाज देश की गोद में जिसने जिसका भी साथ दिया उसको जीतकर अपने देश में मिला लिया।
जी हां पाकिस्तान की मध्यस्थता के चलते अब ईरान को मिल गया है उसका एक नया आका और उस आका का नाम है चीन। दुनिया के सबसे विश्वासघाती देश के रूप में जाने जाने वाले चीन जिस भी देश के साथ आया उसको जीतकर अपने देश में मिलाने के सपने पाल लेता है। यकीनन अभी नहीं पर कुछ समय बाद ईरान और पाकिस्तान को भी इन्हीं हालातों का सामना करना ही होगा। इसको कहना गलत नहीं होगा कि अमेरिका से दुश्मनी के चक्कर में ईरान ने अब झील में मगरमच्छ के पीठ पर सवारी करनी शुरू कर दी है ।
ईरान अमूमन एक शिया मुल्क है और पाकिस्तान एक सुन्नी देश। मजहबी आधार पर दोनों देशों के बीच में आए दिन तनाव बना रहता है परंतु अमेरिका और भारत के खिलाफ इन्होंने अपनी मजहबी अवधारणाएं किनारे कर ली है और एकजुट होकर के किसी भी प्रकार के ईश्वर को ना मानने वाले चीन का साथ पकड़ लिया है। भारत और चीन के बीच जारी तल्खी के बीच अब ईरान ने भी भारत को बड़ा कूटनीतिक झटका दिया है। ईरान ने चीन से होने जा रही 400 अरब डॉलर की डील से ठीक पहले भारत को चाबहार रेल परियोजना से बाहर कर दिया है। ईरान ने इसके पीछे की वजह बताते हुए कहा कि 4 साल गुजर जाने के बावजूद भी भारत की ओर से इस परियोजना के लिए फंड नहीं दिया जा रहा है, इसलिए अब वह खुद ही चाबहार रेल परियोजना को पूरा करेगा। ईरान के इस कदम को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत बड़ा बाना जा रहा है। बता दें कि चाबहार रेल परियोजना चाबहार पोर्ट से जहेदान के बीच बनाई जाना है। पिछले हफ्ते ही ईरान के ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर मोहम्मद इस्लामी ने इस 628 किलोमीटर लंबे ट्रैक को बनाने का उद्घाटन किया था।
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