मानवता के लिए खतरा बन चुकी वैश्विक महामारी कोरोना ( Corona Virus ) पर जहाँ दुनिया भर की एकजुटता की उम्मीद की जा रही थी तो वहीँ इस मामले में यूरोपीय और अमेरिकी देशो के बीच मतभेद साफ़ तौर पर सामने आने शुरू हो गये हैं. इस वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित देशो में अमेरिका ( USA ) भी है जिसने भारत से जीवन रक्षक दवा देने की मांग की थी और उसको पाने के बाद भारत और भारत के प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ( Narendra Modi ) को धन्यवाद भी कहा था. लेकिन उसी के साथ अमेरिकी राष्ट्रपति Donald Trump ने विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO को भी निशाने पर लिया था और इस त्रासदी का उसको प्रमुख जिम्मेदार बताते हुए न सिर्फ उसकी आर्थिक मदद रोक दी थी बल्कि उस पर इस मामले में साजिश करने और लापरवाही करने जैसे कई और भी गंभीर आरोप जड दिए थे. लेकिन अब डोनाल्ड ट्रम्प का विरोध यूरोप से शुरू हो गया है.
सुदर्शन न्यूज़ के प्रधान सम्पादक सुरेश चव्हाणके जी ने भी इस मामले में WHO के खिलाफ २ माह पहले ही बाकायदा प्रमाणों के साथ बिंदास बोल शो किया था और ये बताया था कि कहीं न कहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन ठीक से नहीं कर रहा है. उनकी बातो और दावे को तब बल मिला था जब अमेरिकी राष्ट्रपति ने भी ठीक उसी अंदाज़ में WHO को कटघरे में खड़ा कर दिया था. यहाँ पर ध्यान देने योग्य है कि अपनी शरणार्थी नीति के चलते जर्मनी में आलोचना का शिकार हो रही जर्मनी की चांसलर मर्केल ने अब डोनाल्ड ट्रम्प के विरोध में स्वर मुखर किये हैं. डोनाल्ड ट्रम्प के सीधे तौर पर विरोध में जाते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन को दी जाने वाली मदद को रोक दिया तो माना जा रहा था कि बाकी वो देश भी ऐसे ही करेंगे जो इस समय कोरोना की विभीषिका झेल्र हे हैं और इसको चीन की साजिश मान रहे थे. उन्ही देशो में एक जर्मनी भी था लेकिन वो WHO के ही समर्थन में खड़ा होता दिखाई दिया.
समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने जर्मन फेडरल गवर्नमेंट द्वारा जारी बयान के हवाले से कहा, "ग्रुप ऑफ सेवन (जी 7) के नेताओं के साथ चर्चा के दौरन एक वीडियो कॉन्फ्रेंस में मर्केल Angela Merkel ने कहा कि मजबूत और समन्वित अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया के माध्यम से ही संकट से निपटा जा सकता है।" बयान में आगे कहा गया, "जर्मनी की चांसलर ने गुरुवार को डब्ल्यूएचओ सहित कई अन्य सहयोगियों के लिए अपना पूर्ण समर्थन व्यक्त किया।" जर्मनी के विदेश मंत्री हेइको मास ने भी कहा कि 'डब्ल्यूएचओ अंतर्राष्ट्रीय महामारी नियंत्रण की रीढ़' है। उन्होंने कहा, "अभी डब्ल्यूएचओ, इसकी कार्यक्षमता या इसके महत्व पर सवाल उठाने का कोई मतलब नहीं है.. ऐसा कर के यह कमजोर होगा। इस वक्त ऐसा करना बीच उड़ान के समय विमान से पायलट को बाहर फेंक देने जैसा होगा। हम इसे (विश्व स्वास्थ्य संगठन को) जिम्मेदार नहीं मानते हैं।"