आजकल अक्सर देखा जाता है कि कोई प्रेमी प्रेमिका मंदिर में जाकर शादी कर ली। और उसे वैध भी मान लिया जाता था। ये खबर आजकल के उन कथित लिबरल लोगों को आहत कर सकती है, जो सभ्यता, संस्कार तथा परंपराओं पर कुठाराघात कर खुद को कूल ड्यूड बताते है। लेकिन अब मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने भारतीय संस्कृति को एक तरह से नमन करते हुए संस्कृति का मजाक बनाने वालों पर सीधी चोट की है। कोर्ट ने कहा कि बस एक दुसरे को माला पहना देने से शादी सम्पन नही हो जाती।
कभी कभी कोई प्रेमी जोड़ा घरवालों से अपनी सुरक्षा को लेकर अदालत में गुहार लगती थीं और सरकार उसे सुरक्षा मुहैया भी कराती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं है। लव मैरिज को लेकर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है। ग्वालियर खंडपीठ ने कहा की सिर्फ माला पहनने से शादी नहीं हो जाती।
दरअसल मुरैना निवासी एक जोड़े ने 16 अगस्त को ग्वालियर के लोहा मंडी किलागेट स्थित आर्य समाज मंदिर में शादी कर ली। और उन्हे मैरिज सर्टिफिकेट भी मिला है। लड़के की उम्र 23 साल और लड़की की उम्र 21 साल बताया जा रहा है। शादी के बाद ये कपल हाई कोर्ट से सुरक्षा मांगी। हालाँकि इससे पहल्रे ये किसी पुलिस के पास अपनी सुरक्षा की गुहार लगाने नहीं गए थे।
जोड़े ने बताया कि वे दोनों लव मैरिज किये है। दोनों के परिजन थाने में झूठी शिकायत कर रहे है जिस पर कोई कार्रवाई न की जाय। उनका कहना है कि ये शादी उनके परिवार वालो की मर्जी के बिना हुई है इसीलिए उन्हें इस बात का डर है कि उनके परिवार वाले उनकी जान के पीछे पड़ सकते है। इन सारी बातों को ध्यान में रखते हुए उन्होंने कोर्ट से अपनी वैवाहिक सम्बन्धो को मजबूत बनाने के लिए सुरक्षा मांगी।
आपको बता दे कि शासकीय अधिवक्ता दीपक खोत ने सुनवाई के दौरान इस याचिका को ख़ारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि इसमें ऐसा एक भी साक्ष्य प्रस्तुत नहीं है जिससे पता चले की किसने धमकी दी है, उन्हें किस्से खतरा है, कौन परेशान कर रहा कर रहा है। सीधे कोर्ट में याचिका दायर कर दी गई है। इसीलिए यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं लगती। साथ ही कोर्ट ने ये भी कहा कि सिर्फ माला पहन लेने से शादी नहीं हो जाती। उसके लिए पुरे विधि-विधान से अग्नि के सात फेरे लेने जरुरी है।