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नोएडा के 26 प्राईवेट स्कूलों के पाइलट स्टडी पर हुआ बड़ा खुलासा,

नोएडा के 26 प्राईवेट स्कूलों के पाइलट स्टडी पर हुआ बड़ा खुलासा, सिर्फ एक स्कूल के साईट पर है अभिभावक प्रतिनिधि का फोन नम्बर व ईमेल आईडी

Anchal Yadav
  • Aug 26 2020 8:09PM
कोई भी लोकतांत्रिक संगठन अपने सदस्यों के हितों के लिए दबाव समूह का कार्य करता है। यह सर्वविदित है कि किसी भी प्राइवेट स्कूल में सबसे बड़ा फंड छात्रों के शुल्क से आता है जो अभिभावकों (पेरेंट्स) द्वारा वहन किया जाता है।वैसे, तो सभी प्राइवेट स्कूल अपने यहाँ अभिभावकों की समस्याओं के निवारण की बात करते रहते हैं पर उसके बावजूद देखा जाता है कि स्कूल प्रशासन/प्रबंधन द्वारा अभिभावकों की समस्याओं एवं सामान्य माँगो का निदान बहुत ही अनौपचारिक ढंग से किया जाता है तथा अधिकतम स्कूलों में अभिभावको के पास ऐसा कोई प्रतिनिधि मंच नहीं है जो उनकी समस्याओं तथा सुझावों को समय-समय पर संकलित रूप में स्कूल प्रबंधन के संज्ञान में ला सके तथा उसके उपचार तथा अनुपालन हेतु प्रयासरत रहे।नोएडा के सामाजिक कार्यकर्ता धीरज कुमार गुप्ता ने नोएडा के लगभग सारे प्राइवेट स्कूलों (26 स्कूल ) की वेबसाइट पर दी हुई जानकारी के आधार पर एक पाइलट स्टडी किया और पाया कि 26 प्राइवेट स्कूलों में से केवल 10 स्कूलों में ही अभिभावक प्रतिनिधि/अभिभावक एसोसिएशन का उल्लेख था और उनमें भी केवल एक स्कूल के साइट पर अभिभावक प्रतिनिधियों का ईमेल आइडी दिया हुआ था तथा केवल एक स्कूल की साइट पर उनका फ़ोन नम्बर दिया हुआ है। इन 26 स्कूलों में से केवल एक ने अपनी साइट पर अभिभावक प्रतिनिधियों के फ़ोन नम्बर के साथ- साथ उनके चुनाव का विवरण तथा उनकी मीटिंग्स का विवरण भी दिया हुआ था।

इन आँकड़ों से निष्कर्ष निकला है कि अभिभावक प्रतिनिधियों को नियुक्त करवाना स्कूलों का एक दिखावा है न कि पैरेंट्स को अपनी बात रखने का एक मंच प्रदान करना। आँकड़ों से ऐसा प्रतीत होता है कि स्कूल प्रशासन अपने पसंद के प्रतिनिधियों को स्वयं नियुक्त कर लेते हैं। ऐसा स्कूलों के पैरेंट्स को ये भी नहीं पता है कि उनके स्वयं के प्रतिनिधियों को किसने चुना और यदि चुना भी तो ये स्कूल क्यूँ ऐसा नहीं चाहते कि पैरेंट्स और उनके प्रतिनिधियो में समय- समय पर मीटिंग्स हो ताकि वे अपने अपनी बातों को स्कूल प्रशासन के सामने रख सके। बहुत सारे स्कूलों में पेरेंट्स को तो यह भी नहीं पता कि उनका पेरेंट्स प्रतिनिधि कौन है और न ही स्कूलों ने किसी सर्कुलर से इसे पैरेंट्स को बताने की आवश्यकता समझी।

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