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नोएडा पुलिस ने 17 लग्जरी कारों के साथ केतू गैंग के 3 आरोपी गिरफ्तार

नोएडा पुलिस ने 17 लग्जरी कारों के साथ किया गिरफ्तार, हरियाणा, दिल्ली, पंजाब, गाजियाबाद और मेरठ में ऐसे चलता था खेल

Anchal Yadav
  • Jul 26 2021 6:06PM

नोएडा के सेक्टर-58 थाना पुलिस, साइबर सेल और एंटी थेफ्ट टीम ने नागालैंड के बहुचर्चित अंतरराज्यीय लग्जरी वाहन चोर केतू गैंग के तीनों बदमाशों को सेक्टर-62 से गिरफ्तार किया। आरोपियों के पास से पुलिस ने रेंज रोवर और फॉर्च्यूनर सहित 17 लग्जरी कार, 4 मोबाइल और अन्य सामान बरामद किया हैं।

आरोपियों की पहचान हरियाणा निवासी अमित, अजमेर सिंह और संदीप के रूप में हुई है। तीनों पर विभिन्न थानों में दो दर्जन से अधिक केस दर्ज हैं। पकड़े गए सभी आरोपित खिलाड़ी रहे हैं।

नोएडा जोन के एडीसीपी रणविजय सिंह ने बताया कि आरोपियों ने कबूल किया किया उनका संपर्क दिल्ली और एनसीआर के चोरों से है। अमित सेक्टर-20 नोएडा की एक स्कॉर्पियो की चोरी के मामले में भी वह जेल जा चुका है।

पुलिस ने बताया कि आरोपियों के पास से एक डायरी भी बरामद हुई है, जिसमें सैकड़ों गाड़ियों का विवरण है। ये गाड़ियां नंबर से छेड़छाड़ कर हरियाणा, दिल्ली, पंजाब, गाजियाबाद, मेरठ मे चलाई जा रही हैं। पुलिस ने बताया कि अमित गिरोह में सबसे ज्यादा सक्रिय है।

पुलिस ने बताया कि आरोपियों का खेल से पुराना नाता है। जिले में इनकी पहचान खिलाड़ी के रूप में भी है। आरोपी अमित एथलीट व गोला फेंक का खिलाड़ी रहा है। इसके अलावा उसकी पत्नी भी नैशनल लेवल की एथलीट है। दूसरा आरोपी अजमेर यादव रेसलिंग का प्लेयर रहा है और संदीप भी एथलीट व गोला फेंक का नैशनल खिलाड़ी रहा हैं। हालांकि, खेलों से संबंधित कोई भी सर्टिफिकेट अभी तक पुलिस के हाथ नहीं लगा है। मास्टरमाइंड अमित अभी तक सौ से अधिक गाड़ियां बेच चुका है।

पुलिस ने बताया कि आरोपी अजमेर सिंह का काफी बड़ा गैराज भिवानी में है। गैराज में चोरी की खरीदी गई गाड़ियों के इंजन नंबर, चेसिस नंबर, पेस्ट करने का काम मोटे पैसे लेकर किया जाता था। आरोपी संदीप सिंह के संबंध इंश्योरेंस कंपनियों से हैं। वहां उन कंपनियों के सर्वेयर के साथ मिलकर टोटल लॉस की गाड़ियों की डिटेल लेता था।

इसके बाद ऑन डिमांड उसी मॉडल की गाड़ी चोरी करवाने के लिए चोरों से संपर्क करता था। इसके बाद आरोपी बीमा कंपनियों से टोटल लॉस की गाडियों को कम दामों मे खरीदकर कटवाकर कबाड़ियों को बेच देते थे, लेकिन गाड़ी की आरसी अपने पास रखते थे। इसके बाद स्क्रैप हुई गाड़ियों के इंजन नंबर, रजिस्ट्रेशन नंबर और चेसिस नंबर को चोरी की गाड़डियों में पेस्ट करके मोटा मुनाफा कमाते थे।

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