आज आपको रोबोट भारती के बारे में बताते हैं...जिसका शुभारम्भ छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुइया उइके ने किया। ये रोबोट मरीज तक पहुंच सकता है। इसके माध्यम से मरीज की डॉक्टर, नर्स या परिजन के साथ सीधी बात हो सकती है। उसकी समस्याओं को समझा जा सकता है व उसके मॉनीटर्स का अवलोकन किया जा सकता है। मरीज तक दवा और खाना आदि लाने ले जाने का काम इसके माध्यम से संभव है। ये सब बिना संपर्क में आये हो सकता है। इसकी एक विशेषता ये है कि इसके भीतर अल्ट्रा वायोलेट लाइट्स भी फिट होती है। इसको इन्फेक्टेड जगहों में रिमोट संचालित कर भेजा जा सकता और उस जगह को जीवाणुरहित किया जा सकता है। इस रोबोट की खासियत यह है कि नेटवर्क न होने या अच्छा नेटवर्क न होने के बावजूद डॉक्टर और उनके परिजन वीडियो कॉलिंग के माध्यम से बात कर सकते हैं।
रोबोट भारती ऑनलाइन प्रदर्शन के दौरान वी.वाय. हास्पिटल के कोविड वार्ड में गई और मरीज के समक्ष उपस्थित हुई। इसके माध्यम से मरीजों ने राज्यपाल और उनके परिजनों से बातचीत की।
राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने आज अस्पताल में इलाज करा रहे कोविड-19 मरीजों की मदद के लिए विशेष रूप से निर्मित रोबोट ‘भारती’ का ऑनलाइन शुभारंभ किया। इस अवसर राज्यपाल ने कहा कि यह अविष्कार कोविड-19 के इस संकट काल में निश्चित ही क्रांतिकारी और लाभदायक साबित होगा। इससे कोविड-19 की इलाज कर रहे चिकित्सकों को काफी मदद मिलेगी। कभी कभी चिकित्सक कोविड-19 के इलाज के दौरान संक्रमित हो जाते हैं, वे संक्रमित होने से बच पाएंगे और वे इलाज प्रभावी ढंग से कर सकेंगे। साथ ही मरीजो को भी मदद मिलेगी।
राज्यपाल ने इस खोज के लिए SPAR VY research initiative के युवा वैज्ञानिक श्री आदित्य और वी.वाई. हास्पिटल के डाइरेक्टर डॉ. पूर्णेन्दू सक्सेना को बधाई दी। उन्होंने आदित्य जी को आत्मनिर्भर होते भारत के युवा के रूप मे देखा और डॉ. सक्सेना से कहा कि आप में सेवा भावना है और चिकित्सक होने के साथ-साथ समाज सेवा का कार्य करते हैं। इसी सोच के कारण यह अविष्कार संभव हो पाया है जो कोविड-19 के लिए इलाज के लिए मददगार साबित होगा और हम जल्द ही छत्तीसगढ़ को कोरोना मुक्त कर पाएंगे। आज इस रोबोट के माध्यम से महामहिम राज्यपाल महोदया ने वी.वाई अस्पताल के कोविद वार्ड में भर्ती मरीज से बात की। उन्होंने उसका हाल चाल पूछा और ये भी पूछा की रोबोट से बात कर के कैसा लग रहा है? मरीज ने कहा कि अच्छा लग रहा है। उन्होंने मरीज को हर हाल में सकारात्मक बने रहने की समझाइश दी और मनोबल बढ़ाया।