इस बात की आशंका ही नहीं बल्कि पुख्ता प्रमाणों के साथ सुदर्शन न्यूज़ के प्रधान सम्पादक सुरेश चव्हाणके जी ने बिंदास बोल के माध्यम से दुनिया के आगे रखी थी कि नोटों को भी कोरोना फैलाने का हथियार बनाया जा सकता है. उसी समय के आस पास कई जगहों पर नोटों को पड़े पाया गया और एक वीडियो में साफ एक चरमपंथी को नोटों पर थूकते देखा गया था जिसमे वो कोरोना को बीमारी नही बल्कि अल्लाह का कहर बता रहा था. वो नोटों पर थूक के साथ नाक भी पोंछता दिखाई दिया जिसके बाद आखिरकार नासिक पुलिस ने उसको खोज निकला और फिलहाल वो जेल में है. लेकिन अब हैदराबाद पुलिस के खुलासे ने सुदर्शन न्यूज़ के दावे को पुख्ता कर दिया है.
देश और दुनिया को बड़ी सतकर्ता संदेश हैदराबाद पुलिस के दावे से गई है. कुछ दिन पहले पुलिस महानिदेशक के कार्यालय की ओर से सभी पुलिस अधीक्षकों, शहर आयुक्तों, सभी रेंज के डीआईजी तथा गुंटूर रेंज के आईजी को मेमो जारी किया गया था. नोटों से कोरोना वायरस का संचरण होने की संभावना का पुलिस ने कैसे पता लगाया, इस बारे में पूछे जाने पर डीजीपी डी जी सावंग ने कहा, ''अभी तक राज्य में नोटों से संक्रमण का कोई प्रमाण नहीं मिला है.'' अधीनस्थ अधिकारियों को भेजे गये डीजीपी के मेमो में कहा गया है कि पूर्वी गोदावरी, कृष्णा और गुंटूर जिलों में ऐसे लोग वायरस के संपर्क में आए हैं जिन्होंने हाल फिलहाल में कोई यात्रा नहीं की या विदेश यात्रा करने वाले किसी व्यक्ति के प्राथमिक या दूसरे स्तर के संपर्क में नहीं आए.
इसमें कहा गया है, ''उन्होंने कारोबार किया है जिसमें उन्होंने चीजें बेचकर अनेक लोगों से नकदी ली है या कई लोगों से मासिक शुल्क वसूला है और संक्रमित हो गए हैं.'' मेमो के अनुसार, यह स्पष्ट दर्शाता है कि करेंसी नोट संक्रमित लोगों से वायरस का संचरण करने के लिए जिम्मेदार हैं और यह बात राज्य में खतरे की घंटी बजाने वाली है.इसमें कहा गया है. हैदराबाद की पुलिस ने कोविड-19 के संक्रमण के सामने आ रहे नये मामलों में दिखाई दे रहे पैटर्न की ओर इशारा करते हुए कहा कि नोटों से संक्रमण फैलने की बात इस राज्य में खतरे की घंटी है जहां ऑनलाइन लेनदेन बहुत कम होता है और अधिकतर कारोबार नकदी से होता है.