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कोटा हो या गोहाटी अपना देश अपनी माटी |

अद्भुद राष्ट्रीय एकता और अखंडता की प्रस्तुति भारत की संतान के माध्यम से |

Jaspreet Singh
  • Oct 27 2021 5:54PM
· कोटा हो या गोहाटी अपना देश अपनी माटी | · तलाव की पाल से गूंजा जय जगत का नारा | · कोटा से धरती से दिया भाई जी विश्व शांति का सन्देश | · तलाव की पाल पर हुई विश्व के सभी धर्मों की प्रार्थना | · देश की भाषाओं के माध्यम से प्रस्तुत किया भारत की संतान | · अद्भुद राष्ट्रीय एकता और अखंडता की प्रस्तुति भारत की संतान के माध्यम से | कोटा | 18 नवम्बर 2019 | महात्मा गाँधी की 150 वीं जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में प्रख्यात गाँधीवादी चिन्तक, विचारक भाई जी के नाम से प्रसिद्ध डॉ. एस. एन. सुब्बाराव जी ने अपने दो दिवसीय कोटा आगमन के दौरान गाँधी जीवन दर्शन समिति, सोसाइटी हैस ईव शी एवं यूनी कल्चर ट्रस्ट ऑफ इंडिया के माध्यम से शाम को 5:30 बजे किशोर सागर तालाब की पाल पर सर्वधर्म प्रार्थना और डॉ. निधि प्रजापति द्वारा निर्देशित भारत की संतान नामक अद्भुत देश की अखंडता और एकता को प्रदर्शित करने वाले कार्यक्रम की प्रस्तुति दी | कार्यकर्म के मुख्य अतिथि वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. आर.एल. गोधरा रहे वही कार्यक्रम की अध्यक्षता गाँधी जीवन दर्शन समिति के समन्वयक पंकज मेहता की | विशिष्ट अतिथि कोटा के एडिशनल एस. पी. एंटी टेररिस्ट फोर्स हिम्मत सिंह, कोटा के श्री राम ब्लड बैंक के संचालक डॉ. राकेश और वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय की शिक्षा संकुल की अतिरिक्त निदेशक डॉ. कीर्ति सिंह रहे | सर्वप्रथम डॉ. सुब्बाराव ने विश्व के प्रचलित हिन्दू, मुस्लिम, सिख, इसाई, जैन, पारसी, बौद्ध, बहाई, जूदाइज़्म, सिंतो, ताओ आदि धर्मों की प्रार्थना मेडिटेशन के साथ कराई तत्पश्चात कोटा की धरती से पुरे भारत को धर्म, जाति, वेशभूषा, भाषा और क्षेत्र की विभिन्नता होते हुए भी शांति, एकता, अखंडता और सद्भावना बनाये रखने सन्देश देने वाली भारत की संतान प्रस्तुति कोटा बाल सीनियर सेकेंडरी स्कूल के विधार्थियों के माध्यम से की | जिसकी शुरुआत विश्व की प्राचीनतम भाषा संस्कृत से हुई जिसके बाद, मणिपुरी, असमिया, कश्मीरी, गुजराती, बंगाली, मराठी, तेलगु, सिन्धी, ओरिया, नेपाली, उर्दू, कन्नड़, कोंकणी, पंजाबी, तमिल, मलयालम और अंत में हिंदी भाषा की प्रस्तुति हुई | डॉ. सुब्बाराव ने कहा की विश्व ऐसा कोई देश नहीं जिसकी तुलना भारत से की जा सकी और कोई भारत एक मात्र ऐसा देश जहाँ इतनी विभिन्नता होते हुए भी एकता बनी हुई है | इस अवसर पर पंकज शर्मा, मंजुला शर्मा, नीतू मेहता भटनागर, शोभा कँवर, रितिका, डॉ. आर. सी. साहनी, डॉ. गोपाल सिंह धाकड़, मालती शर्मा, नन्द सिंह पंवार सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित रहे |

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