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आंदोलन के बीच केंद्र की मोदी सरकार का बड़ा फैसला , गन्ने के दाम को लेकर किया बड़ा ऐलान... किसानों को मिलेगी राहत!

केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि सरकार ने अंतरिक्ष क्षेत्र में विदेशी एवं निजी कंपनियों को आकर्षित करने के प्रयासों के तहत उपग्रहों के उपकरण बनाने में 100 प्रतिशत विदेशी निवेश की अनुमति देकर अंतरिक्ष क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश यानी एफडीआई मानदंडों को आसान बना दिया.

Geeta
  • Feb 22 2024 12:57AM
चीनी मिलों के किसानों को गन्ने का उचित एवं लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने के लिए आगामी गन्ना सीजन के लिए 1 अक्टूबर 2024 से 30 सितंबर 2025 की अवधि में मूल्य निर्धारित करने का निर्णय लिया गया है. इस बात की जानकारी खुद केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दी.

 

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि, चीनी मिलों के किसानों को गन्ने का उचित एवं लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने के लिए आगामी गन्ना सीजन के लिए 1 अक्टूबर 2024 से 30 सितंबर 2025 की अवधि में मूल्य निर्धारित करने का निर्णय लिया गया है. 

 

उन्होंने आगे बताया कि, वर्ष 2024-25 के लिए मूल्य 340 रुपये प्रति क्विंटल तय करने का निर्णय लिया गया है, जो पिछले साल 315 रुपये था. गन्ना किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने चीनी सत्र 2024-25 (अक्टूबर-सितंबर) के लिए गन्ने के उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) को 10.25 प्रतिशत की मूल रिकवरी दर के लिए 340 रुपये प्रति क्विंटल पर मंजूरी दी है.

 

उन्होंने कहा, ''पूरी दुनिया में गन्ने के दाम सबसे ज्यादा भारत में दिए जा रहे हैं. ये किसानों के हित में है. हमारी प्रतिबद्धता है कि किसानों की आय दोगुनी हो.''

 

केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि सरकार ने अंतरिक्ष क्षेत्र में विदेशी एवं निजी कंपनियों को आकर्षित करने के प्रयासों के तहत उपग्रहों के उपकरण बनाने में 100 प्रतिशत विदेशी निवेश की अनुमति देकर अंतरिक्ष क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश यानी एफडीआई मानदंडों को आसान बना दिया.

 

उन्होंने आगे कहा, ''दुनिया में खाद के दाम बढ़े, लेकिन हमने इसके बावजूद खाद के दाम किसानों के लिए नहीं बढ़ने दिए. तीन लाख करोड़ रुपये तक की सब्सिडी दी. यूपीए सरकार के दस साल में गेंहू, धान, दलहल और तिलहन पर साढ़े 5 लाख करोड़ रुपये एमएसपी की खरीद पर खर्च हुआ. मोदी सरकार में 18 लाख 39 हजार करोड़ रुपये खर्च हुए. सरकार किसानों से बातचीत के लिए तैयार है और भविष्य में भी ऐसा करना जारी रखेगी.'

 

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