कर्नाटक (Karnataka) के कोलार जिले से चौंकाने वाला मामला प्रकाश में आया है, जहां कर्नाटक के शिक्षण संस्थानों में मजहबी गतिविधियों को बढ़ाने की कोशिश की गई है। आए दिन कहीं-न-कहीं इस्लामिकों द्वारा मजहबी गतिविधियों को विस्तार देने की कोशिश की जा रही है। बता दें ये मामला सामने आने के बाद सियासी बवाल खड़ा हो गया है। खबर आ रही है कि एक सरकारी स्कूल के करीब 20 मुस्लिम छात्र शुक्रवार को स्कूल क्लास में नमाज (Namaz) अदा करते देखे गए। इस बात की भनक हिंदू संगठनों को लगी तो वे जमकर इसका विरोध किए, जिसके बाद इसे बंद किया गया।
लेकिन सबसे बड़ी बात तो यह है कि इन छात्रों को स्कूल में नमाज पढ़न की इजाजत स्कूल की प्रधानाध्यापिका ने ही दी थी। तो सवाल ये भी उठता है कि आखिर उस प्रधानाध्यापिका की क्या मकसद थी जो उसने स्कूल में नमाज पढ़वाने जैसे फैसले लिए? यही नही जब मामले में हिंदू संगठनों ने प्रिंसिपल उमा देवी से बात की तो वे इस बात से इंकार कर दी की उन्होनें छात्रों को इजाजत दी थी।
रिपोर्ट के मुताबिक, विरोध के बीच कोलार जिले के कलेक्टर उमेश कुमार ने मुलबगल सोमेश्वर पलाया बाले चंगप्पा सरकारी कन्नड़ मॉडल हायर प्राइमरी स्कूल के कामकाज की जाँच कर इसकी विस्तृत रिपोर्ट देने का आदेश दिया है। इसके लिए डिप्टी डायरेक्टर ऑफ पब्लिक इंस्ट्रक्शन रेवाना सिद्दप्पा को स्कूल का दौरा कर मामले की जाँच करने और उसी के आधार पर एक रिपोर्ट दाखिल करने को कहा गया है।
सूत्रों के मुताबिक, स्कूल की प्रिंसिपल ने छात्रों को नमाज के लिए बाहर जाने से रोकने के लिए उन्हें कक्षा में ही नमाज की इजाजत दे दी थी। एक छात्र ने बताया, “हम दो महीने पहले स्कूल के फिर से खुलने के बाद से ऐसा कर रहे हैं। स्कूल की प्रिंसिपल ने हमें इसकी इजाजत दी थी।”
हालाँकि, इस मामले में जब प्रदर्शन करने वाले हिंदू संगठनों ने स्कूल की प्रिंसिपल उमा देवी से बात की तो उन्होंने कहा, “मुझे इस बारे में कुछ नहीं पता। मैंने नहीं किया है। छात्रों ने खुद किया। जब यह हुआ तब मैं यहाँ नहीं थी। ब्लॉक शिक्षा अधिकारी ने फोन किया और कहा कि यह स्कूल में हो रहा है और मैंने जल्दी ही इस पर एक्शन लिया।”