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चीन के खिलाफ प्रदर्शन कर चुका है भारत के मुसलमानों का एक समूह.. पर डोकलाम, लद्दाख या गलवान के लिए नहीं.. तो फिर किस लिए ?

आखिर फिर किसलिए हुआ था प्रदर्शन और कब ? जानिए..

Rahul Pandey
  • Jul 8 2020 5:06AM
दोस्ती की आड़ में गद्दारी के लिए कुख्यात भारत के पड़ोसी मुल्क चीन के खिलाफ भारत के मुसलमानों ने आवाज उठाई थी. ये बात ज्यादा पुरानी नही है और घटना दिसंबर 2019 की है.. अर्थात लगभग 8 माह पहले. लेकिन चीन के खिलाफ भारत के मुसलमानों के एक समूह की ये आवाज डोकलाम में चीन की दादागीरी तथा लद्दाख व गलवान आदि को लेकर चीन की साजिश के खिलाफ नहीं है बल्कि चीन में उइगर मुस्लिमों की स्थिति को लेकर उठी थी..

उस प्रदर्शन का किसी भी प्रकार से सीमा विवाद, सैनिकों के जमावड़े या वीरों का बलिदान से कोई भी रिश्ता नहीं था. उसका आधार मज़हबी था और उस प्रदर्शन मे भारत के जवानों की नही बल्कि चीन में रह रहे मुसलमानों की फिक्र थी.
 हर किसी को जानकारी है कि लंबे समय से चीन से खबरें सामने आती रही हैं कि वहां की सरकार मुस्लिमों को प्रताड़ित करती है, मुस्लिमों को उनकी मजहबीकार्यों से जबरन दूर कर रही है, मस्जिद तथा मदरसों पर ताले लगा रही है.
 
चीन में मुसलमानों की यही स्थिति तथा उनके मजहबी स्थल, मदरसों पर तालाबंदी, चीनी मुसलमानों की मज़हबी किताबे आदि पढ़ने पर रोक इत्यादि से दुखी व आक्रोशित हो कर इन कृत्यों के विरोध में उत्तर प्रदेश के बरेली कलेक्ट्रेट पर इस्लामिक उलेमा और कुछ अन्य मुस्लिम संस्थाओं ने सामूहिक रूप से विरोध प्रदर्शन किया था. उस प्रदर्शन में चीन की भारत सीमा पर दादागीरी या सैन्य जमावड़े के विरोध के बजाय चीन में मुस्लिम महिलाओं को बुर्का पहनने पर पाबंदी लगाने आदि पर नाराजगी जाहिर की गई थी और प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन सौंपा गया था कि वो सख्ती से चीन को ये सन्देश दें कि वो वहां मुसलमानों पर जुल्म न करे.. तब के प्रदर्शन में तंजीम उलमा-ए-इस्लाम के महासचिव मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने कहा था कि चीन में मुसलमानों पर जुल्म किया जा रहा है. बेगुनाह लोगों को जेलों में कैद किया जा रहा है.

आगे बोलते हुए उन्होंने भारत सरकार से मांग करते हुए कहा था कि चीन में मुसलमानों पर हो रहे जुल्मों पर दखल दें. वहां नमाज पढ़ने, रोजा रखने पर रोका जा रहा है. वहां के मुसलमानों को इस्लाम के खिलाफ बोलने के लिए मजबूर किया जा रहा है. मस्जिद, मदरसों में ताले डाल दिए गए हैं। मुस्लिम महिलाओं के बुर्का पहनने पर रोक लगा दी गई है. इसी प्रदर्शन में तब शामिल रहीं समाजसेवी नाजिम बेग ने कहा था कि चीन में मानवाधिकारों और धार्मिक अधिकारों के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन किया जा रहा है. इस संबंध में प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन कलेक्ट्रेक्ट पहुंचकर अधिकारियों को दिया था.. यद्द्पि 20 जवानों के गलवान में बलिदान होने के बाद विश्व हिंदू परिषद , बजरंग दल जैसे कई समूहों ने चीन के पुतले आदि फूंके व घर घर जा कर चीन के आर्थिक बहिष्कार की शपथ दिला रहे.. पर चीनी मुस्लिमो के लिए दिसंबर 2019 प्रदर्शन करने वाला वो समूह भारत के वीर बलिदानी जवानों के लिए कब प्रदर्शन करेगा ये बड़ा सवाल है.

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