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त्योहार मना रहे दलित बस्ती पर उन्मादी कहर.. आशिक अली, असगर अली के खौफ से दलितों ने थाने के आगे ली शरण

यहां झूठी साबित हो रही हैं तथाकथित रावणों की तमाम बातें व दावे..

Rahul Pandey
  • Jul 29 2020 7:59AM
एक बार फिर से हो रहा है वह सब जो अक्सर राजनेता अपने बयानों में छुपाया करते हैं और मात्र वोट बैंक के लिए एक बिल्कुल नए व समीकरण बनाने के लिए एक पूरे वर्ग को गुमराह किया करते हैं। जिस तथाकथित दोस्ती पर कई राजनीतिक संगठनों की पूरी की पूरी बुनियाद ही टिकी है और जिस तथाकथित दोस्ती पर एक नया रावण जन्म लेना। जिस तथाकथित दोस्ती पर जेएनयू में कई लोग राष्ट्रीय परिदृश्य पर आ गए जिस तथाकथित दोस्ती पर गुजरात में कुछ लोग विधायक बन गए उसी दोस्ती का असल सच उत्तर प्रदेश के जनपद प्रतापगढ़ में साक्षात और प्रत्यक्ष देखने को मिल रहा है।

उत्तर प्रदेश के जिला प्रतापगढ़ में थानाक्षेत्र बाघराय की है ये घटना.. यहां पर आशिक अली और असगर अली नाम के दो कुख्यात उन्मादियों के हमले में दलितों को अपना घर छोड़कर अपनी जान बचाने के लिए पुलिस स्टेशन के आगे शरण लेनी पड़ी है। नाग पंचमी के दिन दलित लोग अपने परंपराओं का निर्वहन कर रहे थे कि यही बात आशिक अली , असगर अली व उसके उसी की सोच वाले कई साथियों को नागवार गुजरी और उसने उसमें दखल देना शुरू कर दिया। राजनीति के झूठे चोचलों से दूर कुछ युवकों ने इसका विरोध किया तो पूरी की पूरी उन्मादी भीड़ उनके ऊपर टूट पड़ी और जो मिला उसी को मारा। न महिलाएं देखी गई, ना बच्चे, ना बड़े,  ना वृद्ध ।। हर कोई उन्मदियों के हमले का शिकार हुआ।

इस घटना में खुद दलितों की महिलाओं के अनुसार आशिक अली और असगर अली के साथियों ने लाठी-डंडों ही नहीं बल्कि तलवारों का भी इस्तेमाल किया। बताया यह जा रहा है कि जोर जोर से उन्मादी नारे लगे जिससे पूरी की पूरी बस्ती में भय व्याप्त हो गया । दलितों की बस्ती में आतंक फैलाते हुए उन खूंखार हो चुके दंगाइयों के चेहरे पर जरा सा भी शासन-प्रशासन का खौफ नहीं दिख रहा था । इस घटना से डर कर सैकड़ो दलितों ने थाने के आगे शरण ली थी और वो पुलिस की कार्यवाही से संतुष्ट नही दिख रहे थे.. बताया यह जा रहा है कि मज़हबी उन्माद का यह आतंक घंटो तक चला.. इस उन्मादी घटना में घायल हुए दलितों का इलाज अस्पताल में चल रहा है..कहा ये भी जा रहा कि आतंक के इस खेल में ऐसे अपराधी भी शामिल थे जो जिले को पुलिस की टॉप 10 लिस्ट में हैं और इनके पोस्टर भी बाघराय थाने में लगे हुए हैं.. फिलहाल इस मामले में पीड़ित पक्ष की उम्मीद मात्र योगी शासन और उत्तर प्रदेश पुलिस का जिससे और न्याय की गुहार लगा रहे हैं। हिंदुओं में विभाजन की साजिश रचने वाली जातिवादी राजनीति के वो तमाम चेहरे इन दलितों के दर्द से फिलहाल कोसों दूर है।

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