इनपुट - शैलेंद्र पांडे, लखनऊ
गूंगी और बहरी सरकार किसानों की बात नही सुनने को तैयार है और क्रूरता की सारी हदें पार कर रही है। उनकी बात सुनने की बजाय उनके रास्ते मे लोहे के जाल, कील काटे और लोहे की दीवार खड़ी की जा रही है। सरकार और किसान के बीच मे यह विभाजन रेखा खिचना देश और लोकतंत्र के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। केंद्र सरकार पर हमलावर होते हुए सपा मुखिया अखिलेश यादव ने आरोप लगाए। अखिलेश यादव ने कहा कि यह कैसी विडंबना है की देशवासियों का पेट भरने वाला अन्नदाता किसान आज सरकार द्वारा लांछित और अपमानित किया जा रहा है। उसे आंतकवादी बताकर उससे निबटने की वैसी ही तैयारिया की जा रही है जैसी सीमा क्षेत्र में बाड लगाकर की जाती है।
किसान खेत मे और जवान सीमा पर देते है बलिदान - अखिलेश
अखिलेश यादव ने कहा कि वो किसान ही है जो खेत मे अन्न उगाता है और उसका बेटा सीमा की रक्षा के लिए अपना बलिदान देता है। किसान को दिल्ली मे आकर अपनी व्यथा सुनाने से रोकने के लिए नाकाबंदी की जा रही है। भाजपा जो कृषि कानून लाई उससे पूरे देश का किसान न केवल चिंतित है अपितु आक्रोशित भी है। भाजपा दमन के जरिए किसानों की आवाज को दबाना -कुचलना चाहती है। पर वह न भूले की इतिहास बताता है कि झूठ और अन्याय की जड़ें नहीं होती है, न्याय के आगे सत्ता की एक नहीं चलती है।
किसानों ने नही करी कोई बड़ी मांग - अखिलेश यादव
अखिलेश यादव ने मोदी सरकार पर हमला करते हुए कहा कि किसान कोई बड़ी मांग नहीं कर रहे हैं। वह केवल तीनों काले कृषि कानूनों की वापसी और न्यूनतम समर्थन मूल्य तथा (एमएसपी) का कानून बनाने की मांग कर रहे हैं। सरकार इन्हें मानने की बजाय दूसरे विकल्प सुझा रही है जो किसानों को अमान्य है। भाजपा सरकार जो कर रही है वह और अलोकतांत्रिक और अमानवीय है तानाशाही कभी-भी सफल नहीं हुई है। भाजपा सरकार पूंजीपतियों की तिजोरी भर रही है। और वही पर लागत मूल्य ना मिलने से परेशान किसान सड़कों पर हैं किसानों की आय दोगुनी करने वाली भाजपा सरकार में यह है कि किसानों की दुर्दशा। को लेकर सरकार तमाशा कर रही है,किसानों से लेकर नौजवान तक अपने को ठगा महसूस कर रहा है लेकिन केंद्र की सरकार का आंखों का पानी मर गया है।
पूंजीपति दोस्तो को खुश करने में लगे है मोदी जी - अखिलेश यादव
चुनाव से पहले भाजपा सरकार किसानों की नहीं अपने पूंजीपति मित्रों की खुशहाली के लिए प्रयासरत है। चंद पूंजीपतियों को सरकार सब तरह की सुविधाएं देने के लिए कृषि कानूनों के माध्यम से रास्ता बना रही है।