राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की गतिविधियों में सरकारी कर्मचारियों के भाग लेने पर लगा 58 साल पुराना प्रतिबंध मोदी सरकार ने हटा दिया है। इस संबंध में गृह मंत्रालय द्वारा आदेश जारी किया गया है। वहीं आरएसएस ने इसको लेकर खुशी दिख रही है। नवंबर 1966 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के शासनकाल में यह प्रतिबंध आरएसएस पर लगाया गया था।
बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने X पर लिखा कि, "58 साल पहले, 1966 में जारी किया गया असंवैधानिक आदेश, जिसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की गतिविधियों में भाग लेने वाले सरकारी कर्मचारियों पर प्रतिबंध लगाया था, मोदी सरकार द्वारा वापस ले लिया गया है। यह आदेश कभी पारित ही नहीं करना चाहिए था।"
निराधार था प्रतिबंधित
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने संघ पर से हटाए गए प्रतिबंध पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ गत 99 वर्षों से सतत राष्ट्र के पुनर्निर्माण एवं समाज की सेवा में संलग्न है। राष्ट्रीय सुरक्षा, एकता-अखंडता और प्राकृतिक आपदा के समय में समाज को साथ लेकर संघ के योगदान के चलते समय-समय पर देश के विभिन्न प्रकार के नेतृत्व ने संघ की भूमिका की प्रशंसा भी की है। अपने राजनीतिक स्वार्थों के चलते तत्कालीन सरकार द्वारा शासकीय कर्मचारियों को संघ जैसे रचनात्मक संगठन की गतिविधियों में भाग लेने के लिए निराधार ही प्रतिबंधित किया गया था। शासन का वर्तमान निर्णय समुचित है और भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था को पुष्ट करने वाला है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से बैन हटाए जाने पर कांग्रेस ने विरोध जताया है। यह खबर सोशल मीडिया पर तब सामने आयी जब कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने सरकारी आदेश की एक कॉपी को द्वीट किया था। और लिखा कि सरकार ने आरएसएस पर लगा 58 साल पुराना बैन हटा दिया है।