पत्रकारिता के पावन पेशे को कुछ ऐसे बदनाम कर रहे थे शमीम, अहमद और ग़ुलाम.. बची वो कौन सी जगह जहां ऐसा संक्रमण नहीं ?
बिहार की राजधानी पटना की है ये घटना..
यदि मिलावट की बात की जाए तो संभवत वस्तुओं से लेकर मनुष्य तक कहीं ऐसा कोई क्षेत्र अथवा देश नहीं छोड़ा गया है जहां पर कुछ उन्मादी व अपराधी सोच के लोगों ने संक्रमण अथवा प्रदूषण ना फैलाया हो।
ध्यान देने योग्य है कि नीतीश कुमार के बिहार में शराबबंदी के फैसले को वहां की जनता ने सर आंखों पर लिया और इसी के चलते तमाम विरोधियों के बाद भी विधानसभा चुनाव में पुनः नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री पद पर आसीन हुए हैं.
लेकिन कहीं ना कहीं कुछ ना कुछ ऐसे लोग जरूर हैं जो किसी भी साजिश के किसी भी स्तर तक जाकर के सुधर रहे समाज और बदल रहे बिहार को गलत रूपों में देश और दुनिया के आगे प्रस्तुत करने की कोशिश कर रहे हैं. और इस बार इसी साजिश में हथियार बनाया गया पत्रकारिता का पावन पेशा.
मिल रही जानकारी बिहार की राजधानी पटना से है जहां पर मीडिया के स्टीकर का दुरुपयोग शराब की अवैध तस्करी के लिए किया गया जिस को पटना पुलिस ने बेहद सूझबूझ और समझदारी के साथ पकड़ा और पत्रकारिता को बदनाम होने से बचाया।
ज्ञात हो कि पटना में प्रेस लिखी गाड़ी से शराब की तस्करी की जा रही थी. इसका खुलासा तब हुआ जब पुलिस टीम दीघा थाने के Jp सेतु पर नाकेबंदी कर दो क्रेटा कार को पकड़ लिया.
कार की तलाशी के क्रम में 326 लीटर अंग्रेजी शराब की बरामदगी की गयी. उसके साथ ही पांच लोग- अमरोज इकबाल, मो शमीम, मशरूर अहमद, गुलाम सरवर व एक अन्य को गिरफ्तार किया गया।
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