आज भले ही किसान आन्दोलन के बहाने से नए नए समीकरण बन और बिगड़ रहे हों लेकिन अगर इन समीकरण का पूरा इतिहास खंगाला जाय तो महज कुछ माह पहले ही इसका खोखलापन प्रमाणों के साथ सबके सामने आ जाएगा.. फ़िलहाल आज पूज्य गुरु गोविन्द सिंह जी की जयंती है और उनसे जुडी घटनाएँ स्वतः याद आ रही हैं.
मामला गत फ़रवरी - मार्च 2020 का है. पहले बात गुरु गोविन्द सिंह जी की. ये वो पूज्य गुरु हैं जिन्होंने अपने जीवन का एक एक पल धर्म और मानवता की रक्षा के लिए दिया है. ये वो महान आत्माएं रही है जो मानव वेश में भले ही पृथ्वी पर आई थी लेकिन इनके कर्म देवत्व जैसे थे.
इन गुरुओं में से शायद ही कोई ऐसा हो जिन्होंने अपने खुद के लिए एक पल भी अपने जीवन का दिया हो. दूसरों की पीड़ा को अपना कर अपना सब कुछ न्योछावर कर देने वाले गुरुओं के अपमान पर उबल पड़ा है समाज. यहाँ ये ध्यान रखने योग्य है कि तब और अब दोनों समय दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया हैं व् थे भी.
विदित हो कि आतताई मुगलों के लिए अपने पूरे परिवार का बलिदान दे देने वाले महान व् परमपूज्य गुरु गोविन्द सिंह जी की वीरता की गाथाएँ आज भी प्रेरणा देती हैं न सिर्फ सिख समाज को बल्कि हिन्दुओं को भी. लेकिन उनके प्रति अपने मन में छिपे जहर को आख़िरकार उगल ही दिया था दिल्ली के द्वारका स्थिति एक ईसाई पैटर्न पर चलने वाले मिशनरी स्कूल ने.
उस समय इसी के बाद ट्विटर पर #Shame_StGregorios_School ट्रेंड कर गया था .. इस स्कूल का नाम St Gregorios School है जो द्वारका में स्थित है. इस स्कूल के एक प्रश्न पत्र पर ऐसा सवाल किया गया है जिसको सुदर्शन न्यूज़ पूज्य गुरु गोविन्द सिंह के सम्मान में खुद नही लिख सकता.
बताने के लिए इतना पर्याप्त है कि इसमें न सिर्फ गुरु गोविन्द सिंह जी के बारे में अशोभनीय टिप्पणी की गई थी बल्कि पराक्रमी खालसा पन्थ के खिलाफ भी गलत बयानी की गई थी... माना ये जा रहा है कि ऐसा कर के एक खास वर्ग को खुश करने का प्रयास किया गया था और इसी के साथ बच्चो में बचपन से ही सच्चे धर्म्ररक्षको के प्रति गलत भाव भरने की साजिश रची गई थी.
पूज्य गुरु गोविन्द सिंह जी को जयंती पर शत शत नमन.