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मेवात है हिंदुओं का कब्रिस्तान और जिहादियों का पाकिस्तान, DSP की हत्या के बाद मचा बवाल लेकिन हिंदुओं की नहीं सुन रहा कोई गुहार!

दिल्ली के मिनी पाकिस्तान कहे जाने वाले इलाकें जैसे सीलमपुरी, जहांगीरपुरी, सुल्तानपुरी समेत अन्य जगहों से आये दिन पीड़ित हिंदुओं की गूंज सुनाई देती है.

सागर कुमार सुदर्शन न्यूज़
  • Jul 20 2022 5:56PM
देश में हिंदुओं पर जिहादियों की बर्बरता जंगल के आग की तरह फैल रही है. दिल्ली के मिनी पाकिस्तान कहे जाने वाले इलाकें जैसे सीलमपुरी, जहांगीरपुरी, सुल्तानपुरी समेत अन्य जगहों से आये दिन पीड़ित हिंदुओं की गूंज सुनाई देती है.

लेकिन जिस मामले की हम आज बात करने जा रहे हैं वो दिल्ली या बांग्लादेश का नहीं बल्कि हरियाणा में स्थित मेवात के नूँह का है, जहां हिंदुओं के साथ लूट-खसोट के साथ रेप, अपहरण और धर्म परिवर्तन जैसे तमाम मामले सामने आते रहते हैं. ऐसे ही एक मामला डीएसपी की हत्या का भी आया है.

 डीएसपी सुरेंद्र सिंह की हत्या का मामला

इस बीच एक नए मामले ने नूँह मेवात में उफान पकड़ा हुआ है. जिसमें अरावली पहाड़ियों पर हो रहे अवैध खनन को रोकने वाले डीएसपी सुरेंद्र सिंह बिश्नोई की डंपर चढ़ाकर हत्या कर दी गयी है. बता दें कि हत्यारे का नाम इकरार है.

कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, डीएसपी ने गाड़ी से उतर कर उन्हें रोकने की कोशिश की लेकिन इकरार के साथ मौजूद उसके साथियों ने कहा कि "साइड हट वरना गोली से उड़ा देंगे". इसके बाद तभी डंपर चालक को पीछे से किसी ने कहा कि "इसपर गाड़ी चढ़ा दें" और फिर पालक झपकते ही उसने डीएसपी सुरेंद्र सिंह को कुचल दिया.

 जलालत की भेंट चढ़ रहे हिंदू का क्या?

सोचिए यह मंज़र कितना भयभीत करने वाला होगा. इससे यह साफ है कि इन मुसलमानों की हिम्मत इतनी बढ़ गयी है कि किसी की जान लेना इनका बाएं हाथ का खेल बन गया है. हालांकि, इस कांड के बाद इकरार के एक साथी को गिरफ्तार कर लिया गया है लेकिन उन हिन्दुओं का क्या जो यहां बरसो से इनकी जलालत की भेंट चढ़ रहे हैं.    

कई लोगों के लिए 'नूँह' एक नया नाम होगा परंतु आप यहां हिंदुओं पर हो रहे हैं अत्याचारों के बारे में जान लेंगे तो रूह कांप जाएगी. दरअसल, यहां दलित समुदाय के लोग रहते हैं जिसे अब दलितों का कब्रिस्तान कहा जाने लगा है. ऐसा इसलिए है क्योंकि यहां अब तक 103 गांव हिंदू विहीन हो चुके हैं और बचे 84 गांव में केवल 5 परिवार रह गए हैं.

 सुप्रीम कोर्ट ने खड़े किए अपने हाथ

अब आप यह सोच रहे होंगे कि दलितों पर इतने अत्याचार के बाद भी खट्टर सरकार और सुप्रीम कोर्ट क्यों चुप है. बता दें कि 2021 में हिंदुओं द्वारा याचिका दायर की गयी थी जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने इसपर सुनवाई करने से इनकार कर दिया था.

इस याचिका में हिंदुओं की संपत्तियों पर कब्ज़ा जमाने, जबरन धर्म परिवर्तन और लड़कियों के रेप की एसआईटी से जांच करवाने की मांग की गयी थी. नतीजतन, आज भी यहां लोग जिहादियों के अत्याचार से घुट रहे हैं.

 खतरे की घंटी है नूँह में घट रहे मामले

नूँह में करीब 431 गांव है जिनमें अब नाम मात्र के हिंदू परिवार बचे हैं. यही वजह है कि यहां मुसलमानों की संख्या तेज़ी से बढ़ रही है जो आगे चलकर हिन्दू राष्ट्र के लिए एक बड़े खतरे का संदेश देती है.

सागर कुमार (सुदर्शन न्यूज़)

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